दिग्गज अभिनेता ओम पुरी के निधन पर अमिताभ बच्चन, शबाना आजमी जैसे उनके साथी कलाकारों से लेकर शाहरूख खान, अक्षय कुमार जैसे बाॅॅलीवुड के उनके युवा सह-कलाकारों ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
वेस्टइंडीज के तूफानी गेंदबाजों का दृढ़ता से सामना करने की पहचान बनाने वाले महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने 1993 में मुंबई हमलों के दौरान साहस दिखाते हुए एक परिवार को बचाया था। गावस्कर के बेटे रोहन ने कल रात मुंबई खेल पत्रकार संघ (एसजेएएम) के स्वर्ण जयंती लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से अपने पिता को सम्मानित किए जाने के दौरान यह घटना याद की।
यूनीसेफ स्नोफेक बॉल पुरस्कार की शाम में भले ही केटी पेरी सबसे बड़ी सम्मानित शख्सियत रही हों, लेकिन इस कार्यक्रम में यूनीसेफ की तरफ से पॉप स्टार को पुरस्कार से नवाजने के लिए अचानक पहुंचकर हिलेरी क्लिंटन ने सबसे अधिक तालियां बंटोरी। हाल ही में संपन्न हुए अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में हार का सामना करने वाली हिलेरी को अपने बीच पाकर कार्यक्रम में मौजूद दर्शक चौंक गए और सम्मान में अपनी जगहों से खड़े होकर तालियां बजाने लगे।
अभिनेता आमिर खान को उम्मीद है कि उनकी आगामी फिल्म दंगल सरकार के नोटबंदी के फैसले से प्रभावित नहीं होगी। गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद रीलीज हुई कई हिंदी फिल्मों के कारोबार पर बुरा असर पड़ा है।
उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर यानी वरुण गांधी के संसदीय क्षेत्र को इस बार दिवाली पर तीन नायाब तोहफे मिले हैं। उनमें से एक एंड-टीवी रियलिटी शो, दि वायस किड्स की विजेता निष्ठा शर्मा का गृहनगर पहुंचने पर जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक समेत सैकड़ों की संख्या में सुलतानपुर वासियों ने भव्य स्वागत किया। बता दें के हाल ही जिले में जन्मे और मुंबई में रह रहे गीतकार मनोज मुंतशिर को यशभारती और जिले के मशहूर फिजीशियन डॉ. राजीव श्रीवास्तव को राजधानी दिल्लीमें बेस्ट फिजीशियन ऑफ उत्तर प्रदेश से सम्मानित किया गया।
अभिनेता-निर्देशक राहुल बोस का मानना है कि लोगों को लैंगिक नजरिए से फिल्में देखने की जरूरत है और यह विश्लेषण भी करना चाहिए कि बड़े पर्दे पर आ रही कहानियों में क्या पुरूषों और महिलाओं को समान महत्व दिया जाता है।
रमन मैग्सायसे पुरस्कार विजेता टी एम कृष्णा ने कहा कि सांस्कृतिक अधिनायकवाद आर्थिक शक्ति से भी अधिक ताकतवर है और अब बॉलीवुड में जो कुछ हो रहा है, वह इसी ताकत का दूसरा उदाहरण है। कृष्णा ने यह बातें आज कोवलम साहित्य उत्सव में एक कार्यक्रम में कुछ सवालों का जवाब देते हुए कही।