Advertisement

Search Result : "B Sai Praneeth"

बैडमिंटन-प्रणीत सिंगापुर ओपन के फाइनल में

बैडमिंटन-प्रणीत सिंगापुर ओपन के फाइनल में

भारतीय शटलर बी साई प्रणीत ने पूरे दबदबे के साथ खेलते हुए शनिवार को सिंगापुर में कोरिया के ली डोंग कियुन को आसानी से पराजित करके सिंगापुर ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट के फाइनल में प्रवेश किया।
बैडमिंटन- सिंगापुर ओपन फाइनल श्रीकांत और प्रणीत के बीच

बैडमिंटन- सिंगापुर ओपन फाइनल श्रीकांत और प्रणीत के बीच

सिंगापुर ओपन सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट का फाइनल इस बार दो भारतीयों के बीच होगा। भारत के किदाम्बी श्रीकांत और बी साई प्रणीत ने शनिवार को सेमीफाइनल में आसान जीत दर्ज कर फाइनल में प्रवेश किया। संभवत: यह पहला मौका है जब दो भारतीय खिलाड़ी सुपर सीरीज टूर्नामेंट में खिताब के लिये एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे।
पीवी सिंधू सिंगापुर सुपर सीरीज के क्वार्टर फाइनल में

पीवी सिंधू सिंगापुर सुपर सीरीज के क्वार्टर फाइनल में

शीर्ष भारतीय शटलर पीवी सिंधू और बी. साई प्रणीथ ने 350,000 डालर ईनामी राशि के सिंगापुर सुपर सीरीज में गुरुवार को महिला और पुरूष एकल वर्ग के क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया।
कुश्ती संघ का दावा, नरसिंह मामले की साजिश में साई और नाडा के अधिकारी शामिल

कुश्ती संघ का दावा, नरसिंह मामले की साजिश में साई और नाडा के अधिकारी शामिल

भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने अपने रवैये पर कायम रहते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि नरसिंह यादव पर डोपिंग के कारण चार साल का प्रतिबंध लगने के लिए साई और नाडा के कुछ जूनियर अधिकारी जिम्मेदार हैं।
कनाडा खिताब के बाद प्रणीत,  मनु-सुमित की नजरें एक और खिताब पर

कनाडा खिताब के बाद प्रणीत, मनु-सुमित की नजरें एक और खिताब पर

कनाडा में अपना पहला ग्रां प्री खिताब जीतने के बाद आत्मविश्वास से भरे भारत के बी. साई प्रणीत की नजरें अब मंगलवार से शुरू हो रहे 120000 डालर इनामी अमेरिकी ओपन ग्रां प्री गोल्ड बैडमिंटन टूर्नामेंट पर टिकी हैं।
यहां कुआं जा रहा प्यासों के पास

यहां कुआं जा रहा प्यासों के पास

वह कहावत तो सुनी ही होगी, प्यासे कुएं के पास जाते हैं। लेकिन उज्जैन सिंहस्थ में कुआं प्यासों के पास जा रहा है। एक समूह ऐसा भी है जो खोज-खोज कर लोगों को पिला रहा है पानी।
भारतीय हाॅकी के इतिहास की नायाब धरोहर गायब

भारतीय हाॅकी के इतिहास की नायाब धरोहर गायब

भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण भारतीय हाॅकी के स्वर्णिम इतिहास की नायाब धरोहर गायब हो चुकी है और साई को महान ओलंपियन बलबीर सिंह सीनियर द्वारा 1985 में दान में दी गई यादगार धरोहरों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
Advertisement
Advertisement
Advertisement