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‘भाषा का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि मजहब को भाषा की जरूरत होती है’

‘भाषा का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि मजहब को भाषा की जरूरत होती है’

उर्दू जबान की तरक्की के लिए फिक्रमंद साहित्यकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि इस भाषा को सिर्फ मुसलमानों की जबान के तौर पर पेश कर एक दायरे में सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं जबकि असलियत यह है कि यह पूरे देश में और विभिन्न समुदायों में बोली जाती है और इसके विकास में सभी का अहम योगदान है। इसके अलावा उर्दू और हिंदी छोटी और बड़ी बहने हैं और इनमें आपस में कोई टकराव नहीं है।
दलित फूड है ज्यादा सेहतमंद-चंद्रभान प्रसाद

दलित फूड है ज्यादा सेहतमंद-चंद्रभान प्रसाद

दलितों की शिक्षा, अंग्रेजी के बोलबाले की वकालत से लेकर दलितों के खाने तक के लिए अलग अंदाज में बैटिंग करने के लिए मशहूर चंद्रभान प्रसाद अब दलित खाने की मार्केटिंग के साथ सामने आए हैं। पेश है दलित फूड्स डॉट कॉम नाम से एक अलग कंपनी शुरू करने वाले दलित चिंतक और अब उद्यमी चंद्रभान प्रसाद से आउटलुक ब्यूरो प्रमुख से बातचीत (वीडियो गैलरी में देखें बातचीत)
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