तुर्की में एक संदिग्ध इस्लामिक स्टेट आतंकी द्वारा किए गए हमले में 50 लोगों की मौत हो गई। यह हमला सीरिया की सीमा से सटे शहर गाजियनटेप में एक विवाह समारोह में हुआ।
करीब दस दिनों पहले आसमान में एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। दरअसल स्पाइसजेट का एक विमान उड़ान के दौरान एमिरेट्स के एक विमान के बेहद करीब आ गया था जिससे एक बहुत बड़ी दुर्घटना की परिस्थिति बन गई थी। हालांकि स्वजनित चेतावनी से एक बड़ा हादसा होने से पहले उसे टाल दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भाजपा के नए कार्यालय की आधारशिला रखी। दीनदयाल उपाध्याय मार्ग के प्लॉट नंबर- 6 पर अगले दो वर्षों में नया हाईटेक दफ्तर बनकर तैयार हो जाएगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नया मुख्यालय राष्ट्रहित को समर्पित होगा। उन्होंने कहा कि लोकलुभावनी बात से भीड़ मिल जाती है पर संगठन नहीं मिलता। पीएम ने कहा कि भाजपा देश के सामने यह मिसाल रखेगी कि बिना परिवारवाद के संगठन कैसे काम करता है।
मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) हटाने के लिए पिछले 16 साल से संघर्षरत र्इरोम शर्मिला चानू ने मंगलवार को अपना अनशन तोड़ दिया। इंफाल की अदालत में इरोम द्वारा अनशन तोड़ने की सूचना देने के बाद उन्हें जमानत दे दी।
विजय रूपानी ने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली ने रूपानी के अलावा डिप्टी सीएम नितिन पटेल को भी शपथ दिलाई। इसके अलावा 8 कैबिनेट और 16 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। गृह मंत्री रहीं रजनी पटेल की कैबिनेट से छुट्टी हुई है। इस दौरान पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, अरुण जेटली, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर भी मौजूद थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि संघ की समान नागरिक संहिता की मांग दरअसल एक आड़ है जिसके पीछे संघ की मंशा महिलाओं के अधिकारों को लेकर हिंदू पर्सनल लॉ और अपनी विचारधारा थोपना है।
महाराष्ट्र और केंद्र सरकार में भाजपा की सहयोगी शिवसेना मंगलवार को पीएम नरेंद्र मोदी के कैबिनेट विस्तार से अलग रही। शिवसेना का कोई नेता शपथ ग्रहण समारोह में शरीक नहीं हुआ। शिवसेना ने दो मंत्रियों को सहित एक और कैबिनेट मंत्री की मांंग की थी। पीएम माेदी ने संभावित सूची में एक मंत्री पद शिवसेना के लिए रखा था। और कैबिनेट मंत्री की मांग ठुकरा दी। बस नाराज शिवसेना ने शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार कर दिया। शिवसेना और भाजपा के बीच अलगाव की एक और वजह बृहन्मुंबई महानगरपालिका और उसका भारी भरकम बजट भी है।
देश को आजाद हुए पैंसठ साल से अधिक का समय हो गया पर भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अभी तक आम राय नहीं बन पाई है। जब इतने समय पर यह नहीं हो पाया तो भाजपा अब क्या सोच समझ कर यूनिफार्म सिविल कोड का ताना-बाना बुनने लगी है। क्या छह माह में इसे लागू करने का दम केंद्र की भाजपा सरकार के पास है या यह महज एक चुनावी चुग्गा है। जो भाजपा ने यूपी चुनाव से पहले जनता की ओर फेंक दिया है।
विकास सहित कई अन्य मसलों पर केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना करने वाली शिवसेना ने यूनीफार्म सिविल कोड के प्रस्ताव पर मोदी सरकार को अपना समर्थन दिया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय के जरिए साफ संदेश दिया है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सरकार को आगे बढ़ना चाहिए।
यूपी चुनाव को ध्यान में रखते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की भाजपा की तैयारी पर मुस्लिम समाज बिफर सा गया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह नकार दिया है। उसने आरोप लगाया है कि महज वोटों की राजनीति के लिए भाजपा यह मसले को उछाल रही है।