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डेल्ही वाक्स: जायकों के लुत्फ के साथ शाहजहांबाद की गलियों की सैर

डेल्ही वाक्स: जायकों के लुत्फ के साथ शाहजहांबाद की गलियों की सैर

पुरानी दिल्ली की हर एक गली अपने आप में इतिहास समेटे हुए है। जब इन गलियों से हम गुजरते हैं तो कहीं से जायकों की खुशबू आती है तो कहीं हाथों की बेहतरीन कारीगरी का नमूना आंखों में बस सा जाता है। कभी शाहजहांबाद के नाम से मशहूर इस शहर की इसी सांस्कृतिक विरासत को समझने और नई पीढ़ी को उससे रूबरू कराने के मकसद से इंडिया सिटी वाक्स ने बुधवार को डेल्ही वाक्स का आयोजन किया।
लड़के-लड़कियों के साथ बैठने पर पाकिस्तानी विश्वविद्यालय ने लगाई रोक

लड़के-लड़कियों के साथ बैठने पर पाकिस्तानी विश्वविद्यालय ने लगाई रोक

पाकिस्तान के एक विश्वविद्यालय ने परिसर में लड़के-लड़कियों के जोड़े में बैठने को इस्लामी परंपराओं के विरूद्ध करार देते हुए ऐसा करने पर रोक लगा दी है।
झुग्गी बस्तियों के बच्चों का संगीत कार्यक्रम

झुग्गी बस्तियों के बच्चों का संगीत कार्यक्रम

दिल्ली के बच्चे अपने शब्दों को संगीत की धुनों में पिरोकर लोगों के सामने पेश करने के लिए तैयार हैं। इनमें से अधिकतर बच्चे दिल्ली की झुग्गी बस्तियों के हैं। इस तरह के बच्चों का यह तीसरा वार्षिक संगीत कार्यक्रम है।
म्यूजिक एलबम में इमरान

म्यूजिक एलबम में इमरान

भूषण कुमार म्यूजिक वीडियो के सुनहरे दौर को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय संगीत में म्यूजिक वीडियो का दौर बहुत ही जल्दी खत्म हो गया था। अब दोबारा इसके दिन फिरने वाले हैं।
विख्यात संगीत निर्देशक एम एस विश्वनाथन का  निधन

विख्यात संगीत निर्देशक एम एस विश्वनाथन का निधन

जाने-माने संगीतकार एमएस विश्वनाथन का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने लगभग 1000 से ज्यादा फिल्मों में संगीत दिया है। उनकी तबीयत बिगड़ने पर विश्वनाथन को चेन्नई में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके परिवार में चार बेटे और तीन बेटियां हैं।
विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

विकलांग बच्चियों की मदद के लिए बरखा बहार

बेटी बचाओ के जज्बे के साथ बरखा बहार नाम से एक संगीतमय समारोह का आयोजन नंदिनी फाउंडेशन और पीपल फर्स्ट की ओर से दिल्ली के मुक्तधारा ऑडिटोरियम में किया गया। समारोह में गायिका मंदाकिनी बोरा के सावन पर गाए गीतों और सुफियाना गीतों ने लोगों को झूमने और तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। लोक गायिका पूजा झा के गीत भी लोगों को खूब पसंद आए।
पुराने मकान संस्कृति के प्रतीक हैं

पुराने मकान संस्कृति के प्रतीक हैं

कोलकाता की आलीशान और यूरोपीय बंगाली वास्तुशिल्प की बेजोड़ मिसाल बन चुके पुराने आलीशान मकानों को अंधाधुंध तरीके से ढहाने से बचाने के लिए नए कानून और उपायों की जरूरत को रेखांकित करते हुए प्रख्यात अंग्रेजी लेखक अमित चौधरी का कहना है कि ये महानगर की पहचान हैं और एक समृद्ध संस्कृति को अपने में समेटे हुए हैं। ब्रिटिश काउंसिल और यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजलिया द्वारा आयोजित एक परिचर्चा से इतर 2002 के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता चौधरी ने कहा कि कोलकाता की बहुत सी ऐसी इमारतें समृद्ध वास्तुकला का अद्भुत नमूना हैं।
नहीं चाहिए ऐसे पैसे जो संगीत का अपमान कर कमाए गए हों- मिलन सिंह

नहीं चाहिए ऐसे पैसे जो संगीत का अपमान कर कमाए गए हों- मिलन सिंह

नब्बे के दशक में जब गायिका मिलन सिंह सिल्वर स्क्रीन पर आईं तो लोग इसी पसोपेश में रहते थे कि वह महिला हैं या पुरुष। वह दोनों आवाजों में गाया करती थीं। तब उनके गीत युवाओं की जुबान पर रहते । खासकर ‘ अक्ख दे इशारे नाल गल कर गई कुड़ी पटोले वरगी ’ और ‘हाणियां तू कर लै प्यार की जिना तेरा जी करदा ’। इन गीतों की वजह से लोग उन्हें पंजाबी समझते लेकिन मिलन सिंह उत्तर प्रदेश में इटावा के एक गांव की रहने वाली हैं और ठाकुर परिवार में जन्मीं हैं। 32 सुपरहिट एलबम देने वाली मिलन सिंह ने हाल ही में संगीत की दुनिया में पुनः वापसी की है। पेश है उनके बातचीत के कुछ अंश-
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