दुनिया बदल रही है। मगर औरतों के हालात नहीं बदल रहे। बांग्लादेश जैसी कंजरवेटिव सोसायटी में अगर घरेलू हिंसा को लेकर बात शुरू हो रही है तो एक उम्मीद तो जागती ही है।
बांग्लादेश से सटे भारतीय इलाकों में सीमा सुरक्षा बल को हाई अलर्ट पर रखा गया है। भारत के सीमावर्ती गांवों में सघन तलाशी अभियान शुरू किया गया है। ढाका के कैफे पर आतंकी हमले के बाद साजिशकर्ताओं में से कई के भारत भागकर आने और यहां छुपने की आशंका जताई जा रही है। असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल की पुलिस और सीमा सुरक्षा बल का संयुक्त अभियान एवं रिवर पेट्रोलिंग सरहदी इलाकों में शुरू किया गया है। मेघालय, मिजोरम, बिहार, झारखंड और उड़ीसा में भी सतर्कता जारी की गई है।
ढाका हमले में जिन सात आतंकियों ने 20 लोगों की हत्या की वह सभी स्थानीय बांग्लादेशी थे और उनमें से पांच पेशेवर अपराधी भी थे। जिनकी पुलिस को तलाश थी। यह जानकारी पुलिस ने दी है। इसी बीच बांग्लादेश के गृहमंत्री असदुज्ज़मान खान का बयान आया है कि इस हमले के पीछे बांग्लादेश के आतंकी संगठन है और इस्लामिक स्टेट का इससे कोई लेना देना नहीं है।
बांग्लादेश की राजधानी ढाका के रेस्टोरेंट से एक भारतीय नागरिक समेत 13 बंधकों को छुड़ा लिया गया है। बंधक संकट समाप्त हो गया है। लगभग 11 घंटों तक बंधकों को छुड़ाने के प्रयास किए गए। शुक्रवार रात हथियारबंद आतंकी हमले के बाद करीब 100 कमांडो रेस्टोरेंट में लोगों को बचाने घुसे। रेस्टोरेंट में मौजूद सात आतंकियों में से 6 को ढेर कर दिया गया है और एक को पकड़ लिया गया है। पूरे हमले में आतंकियों समेत 28 लोगों की मौत हो गई है। जिनमें दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं।
कट्टरपंथी इस्लाम के आलोचक कानून के एक छात्र को धारदार हथियारों से लैस आतंकवादियों ने मार दिया। घटना बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुई। मुस्लिम बहुल देश में धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगरों और कार्यकर्ताओं पर हमलों की कड़ी में यह ताजा घटना है।
खुलना से ढाका की ओर मैंने जब रवानगी डाली तो दिन के दो बज रहे थे। खुलना से ढाका की दूरी मात्र 132 किलोमीटर है। लेकिन यह 132 किलोमीटर का सफर तय करने में मुझे पूरे नौ घंटे लगे। बीच में गंगा नदी को भी पार करना होता है, जो यहां आकर पद्मा बन जाती है। इस नदी पर कोई पुल नहीं है। बस, ट्रक, रिक्शे, सभी एक बड़े शिप पर सवार होते हैं और फिर उस पार पहुंचा दिए जाते हैं।