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दिल्ली हाई कोर्ट की पहली महिला जज लीला सेठ का निधन

दिल्ली हाई कोर्ट की पहली महिला जज लीला सेठ का निधन

दिल्ली हाई कोर्ट की पहली महिला न्यालयाधीश (सेवानिवृत) लीला सेठ का निधन हो गया। वह 86 वर्ष की थी। 5 मई की रात को उन्हों ने अपने नोएडा स्थित घर में अंतिम सांस ली। उनकी इच्छा थी कि उनके पार्थिव शरीर को वैज्ञानिक शोध के लिए प्रयोग किया जाएगा।
नायक और खलनायक का फर्क मिटाने वाले विनोद खन्ना नही रहे

नायक और खलनायक का फर्क मिटाने वाले विनोद खन्ना नही रहे

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता और राजनेता विनोद खन्ना ने गुरुवार को सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में निधन हो गया। वे 70 वर्ष के थे। उन्होंने बॉलीवुड की करीब 140 फिल्मों में काम किया। गुरदासपुर से 4 बार भाजपा के सांसद रहे। उनके परिवार ने बताया कि शरीर में पानी की कमी होने के कारण विनोद खन्ना पिछले काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे, जिसके कारण उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां कई डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। वे कैंसर से भी पीड़ित थे।
नहीं रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अखिलेश दास

नहीं रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अखिलेश दास

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अखिलेश दास का हृदय घात होने से निधन हो गया। वह 56 वर्ष के थे, बुधवार सुबह लारी कार्डियोलॉजी में उन्होंने आखिरी सांसें ली। लम्बे समय से उन्हें शुगर की भी बीमारी थी। अखिलेश दास के निधन से उनके परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके समर्थकों का घर के बाहर हुजूम लगा हुआ है।
दिग्गज अभिनेता ओमपुरी का निधन

दिग्गज अभिनेता ओमपुरी का निधन

बाॅलीवुड में अपनी नायाब अदाकारी के लिए पहचाने जाने वाल दिग्गज अभिनेता ओमपुरी का शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से मुंबई स्थित अपने घर पर निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे।
बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार 96 वर्षीय हाशिम अंसारी का निधन

बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार 96 वर्षीय हाशिम अंसारी का निधन

बाबरी मस्जिद मामले के मुख्य पैरोकार हाशिम अंसारी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। अंसारी ने अयोध्या के कोटिया में स्थित अपने आवास में बुधवार की सुबह 5 बज कर 30 मिनट पर अंतिम सांस ली। अंसारी 96 वर्ष के थे। उनके बेटे इकबाल अंसारी ने बताया कि उनके पिता हाशिम अंसारी बीते 6 माह से हृदय और सांस की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे।
वीरेन का जाना, जीवंत वामपंथी प्रतिज्ञा को गहरा आघात

वीरेन का जाना, जीवंत वामपंथी प्रतिज्ञा को गहरा आघात

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी साम्राज्यवाद और राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी-मार्का हिंदुत्ववादी फासीवाद के मौजूदा वर्चस्व के दौर में वीरेन डंगवाल (1948-2015) की कविता किसी आत्मीय, जीवंत, वामपंथी प्रतिज्ञा की तरह सामने आती है।
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