Advertisement

Search Result : "Diary"

राजस्थान: पीएम मोदी ने सीएम गहलोत पर निशाना साधा- 'लाल डायरी के हर पन्ने के साथ फीका पड़ रहा जादूगर का चेहरा'

राजस्थान: पीएम मोदी ने सीएम गहलोत पर निशाना साधा- 'लाल डायरी के हर पन्ने के साथ फीका पड़ रहा जादूगर का चेहरा'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत पर...
दमोह में कांग्रेस पर बरसे पीएम मोदी, 'छत्तीसगढ़ में सट्टेबाजी और राजस्थान में काले कारनामों की लाल डायरी'

दमोह में कांग्रेस पर बरसे पीएम मोदी, 'छत्तीसगढ़ में सट्टेबाजी और राजस्थान में काले कारनामों की लाल डायरी'

मध्य प्रदेश में चुनावी रैलियां जोरों पर चल रही हैं। सभी पार्टियों के नेता के चुनाव प्रचार प्रसार के...
अमित शाह ने गहलोत को दी चुनौती, कहा- ‘लाल डायरी’ के मुद्दे पर इस्तीफा देकर चुनाव के मैदान में उतरें

अमित शाह ने गहलोत को दी चुनौती, कहा- ‘लाल डायरी’ के मुद्दे पर इस्तीफा देकर चुनाव के मैदान में उतरें

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कथित ‘लाल डायरी’ के मुद्दे को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री...
सहारा की डायरियों की जांच हो, पीएम ऐसी पड़ताल से क्यों डर रहे : राहुल

सहारा की डायरियों की जांच हो, पीएम ऐसी पड़ताल से क्यों डर रहे : राहुल

सहारा समूह को आयकर समायोजन प्राधिकरण की तरफ से राहत देने की आलोचना करते हुए राहुल गांधी ने गुरुवार को सहारा की डायरियों की जांच की मांग की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहा कि वह इस तरह की जांच से क्यों डर रहे हैं।
गांधी के बारे में दुनिया बहुत कुछ नहीं जानती : किताब

गांधी के बारे में दुनिया बहुत कुछ नहीं जानती : किताब

दुनिया में कस्तूर को खुशबू के लिए जाना जाता है और उसका नाम इसी पर रखा गया था। वह रईस कपाड़िया परिवार में सबसे छोटी थी, जो विदेशों में कपड़े, अनाज और कपास के कारोबार का स्थापित घराना था। बाद में दुनिया में उन्हें कस्तूरबा के नाम से जाना गया। वह एक ऐसे व्यक्ति की पत्नी बनीं, जिसे शांति के दूत के रूप में दुनिया भर में सम्मान प्राप्त हुआ। कस्तूरबा की शादी बचपन में ही मोहनदास से हो गयी थी। मोहनदास स्वयंधर्मी और दबंग पति थे।
मम्मा की डायरी के बहाने

मम्मा की डायरी के बहाने

इंडिया हैबिटेट सेंटर का केसोरिना हॉल। जब हम पहुंचे तो हॉल में गिनती के लोग। देखते ही देखते हॉल में बच्चों की शैतानियां शुरू हो गईं। मम्मियों की आंखें लाल होने लगीं और इस सबके बीच सज गया मंच, ‘मम्मा की डायरी’ पर बातों के लिए। नताशा ने संचालन का जिम्मा उठाया और लेखिका अनु सिंह चौधरी ने बातों की भूमिका बांधी। एक सवाल के साथ, ‘मैं मां न होती तो न जाने क्या होती?’ औपचारिक शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों की बनाई फिल्म, ‘आओगी न मां’ से हुई। संवाद के तौर-तरीके चिट्ठी-पत्री से बदल कर ईमेल तक पहुंचे।
Advertisement
Advertisement
Advertisement