Advertisement

Search Result : "Famous Sufi Qawwal"

ऐ जालंधर की हवाओ तुम वीजा की मोहताज नहीं

ऐ जालंधर की हवाओ तुम वीजा की मोहताज नहीं

पाकिस्तानी सूफी गायक अदील खान बर्की जब भी हिंदुस्तान आते हैं एक तकलीफ के साथ यहां से जाते हैं। बंटवारे के वक्त बर्की के बुजुर्गों को जालंधर से लाहौर पड़ा था। उनके दादा और वालिद की तमन्ना थी कि आखिरी वक्त में एक दफा वह जालंधर जरूर जाएं लेकिन वीजा की दिक्कतों के चलते उन्हें यह नसीब न हो सका। ऐसे में अदील खान के दादा और वालिद के खाक-ए-सुपुर्द होने के बाद उन्होंने उनकी कब्र पर कत्बा लगवाया, जिसपर लिखा ‘ए जालंधर की हवाओ अगर कभी इस तरफ से गुजरो तो कुछ देर इस कब्र पर ठहर जाना, तुम नहीं जानती कि मरने वाला तुम्हें कितना याद करता है क्योंकि तुम बदनसीब इंसानों की तरह वीजा की मोहताज नहीं हो।’ इस दफा जब अदील खान हिंदुस्तान आए तो आउटलुक की विशेष संवाददाता ने उनसे विशेष बातचीत की-
उसने कहा था – सौ साल पुराना प्रेम

उसने कहा था – सौ साल पुराना प्रेम

चंद्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ की कहानी ‘उसने कहा था’ सौ साल की हो गई है। यह सिर्फ प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि मासूम प्रेम की अभिव्यक्ति है। उसने कहा था गुलेरी जी ने सन 1915 में लिखी थी। सौ साल बाद भी इस कहानी की न रुमानियत खत्म हुई न मासूमियत।
Advertisement
Advertisement
Advertisement