भारत की आर्थिक वृद्धि दर की धीमी रफ्तार की वजह अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने मोदी सरकार द्वारा अचानक की गई नोटबंदी, आरबीआई की पॉलिसी और रुपये की मजबूती को बताया है।
केंद्र सरकार ने पीपीएफ, एनएससी व किसान विकास पत्र (केवीपी) जैसी लघु बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज की दरों में कटौती कर दी है। अब पीपीएफ और एनएससी पर 7.8 फीसदी ब्याज मिलेगा जबकि केवीपी पर 7.5 फीसदी। सीनियर सिटीजन की बचत योजनाओं ओर सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दरें भी फिर से तय की गई हैं इन्हें 8.3 फीसदी रखा गया है। नई दरें पहली जुलाई से लागू होंगी।
एक ओर जहां किसान कृषि उत्पादों का उचित दाम नहीं मिल पाने की चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं, वहीं अब इसकी बानगी आंकड़ों में भी दिखाई देने लगीं हैं। मई माह में महंगाई दर 3.85 फीसदी के मुकाबले घटकर 2.17 फीसदी हो गई है। इस दौरान खाद्य एवं कृषि उत्पादों की महंगाई दर में भारी कमी दर्ज की गई है।
किसानों के विरोध का असर अब गुजरात में भी दिखने लगा है। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को भी किसान के विरोध का सामना करना पड़ा। एक कार्यक्रम के दौरान स्मृति ईरानी को किसान के गुस्से का शिकार होना पड़ा।
किसानों के उग्र आंदोलन के बाद महाराष्ट्र सरकार एक के बाद एक राहत भरे फैसले ले रही है। राज्य सरकार ने कर्जमाफी के ऐलान के बाद किसानों को रुपये देने का फैसला किया है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने होम लोन को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। एसबीआई ने 75 लाख रुपये के होम लोन पर ब्याज दर में 0.10 फीसदी की कटौती की है। ये छूट 15 जून के बाद से लागू हो जाएंगी।
देश के विकास में अड़ंगा बना नोटबंदी को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है। चिदंबरम ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़े के हवाले से कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की धीमी विकास दर को लेकर की गई उनकी भविष्यवाणी सही थी, जिसे नोटबंदी ने और भी बदतर बना दी।
अर्थव्यवस्था के ताजा आंकड़ों पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया का कहना है कि पिछले तीन सालों में लगातार अर्थव्यवस्था बदलती रही है लेकिन मौजूदा वित्तीय वर्ष में विकास दर साढे़ सात फीसदी रहेगी तथा अागामी कुछ सालों में विकास दर आठ फीसदी तक पहुंच जाएगी।