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‘क्वीन’ कंगना से खास बातचीत

‘क्वीन’ कंगना से खास बातचीत

पिछले लंबे समय से फिल्मों में व्यस्त रहने वाली कंगना अब ब्रेक ले रही हैं। ‘कई महीनों से मुझे अपने लिए फुर्सत के कुछ पल भी नहीं मिले।’ तनु वेड्स मनु रिटर्न्स में एक ‘चुनौतीपूर्ण’ दोहरी भूमिका, उसकी जल्दी रिलीज, तेज डबिंग शेड्यूल और उसके बाद के भागदौड़ भरे प्रोमोशंस से वह अब खासा थका महसूस कर रही हैं। इतना ही नहीं, वह कुछ बताती हैं कि फिल्म की सफलता से जुड़ा एक प्रोमेशन अभी किया जाना शेष है। एक शाम कंगना के खार स्थित घर में कॉफी पर बातचीत में अन्य विषयों के अलावा उनके निभाए चरित्रों का आकलन, बॉलीवुड की बदलती तस्वीर और हीरोइन का आज की इंडस्ट्री में बदलते स्थान पर हुई बातचीत के अंश
अपने दिल की ‘क्वीन’

अपने दिल की ‘क्वीन’

कंगना द्वारा यह कहकर फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन को ठुकराना कि सेलिब्रिटीज की भी कुछ जिम्मेदारी होनी चाहिए, मुझे बहुत पसंद आया। मुझे यकीन है कि बॉलीवुड के पुरुष सितारे इस पहाड़ी कन्या से कुछ नसीहत लेंगे। लेकिन मैं यह भी कहना चाहती हूं कि तनु वेड्स मनु रिटर्न्स मुझे बहुत उबाऊ लगी। फिल्म देखकर मुझे लगा कि आखिर उससे जुड़ा शोर किस बात का था। मुझे बरसों पहले गैंगस्टर (जिसमें अब लगभग बर्बाद हो चुका शाइनी आहूजा भी लाजवाब था) में अपने लीक से जुदा रूप रंग से भाने वाली कंगना की यह अब तक की सबसे बेकार फिल्म लगी। मेरी राय में वह नशे की शिकार मॉडल के रूप में फैशन में अपने छोटे से रोल में प्रियंका चोपड़ा से कहीं अधिक असरदार रही थी। वहीं क्वीन, फिल्म और उसकी नायिका दोनों बेहद चमत्कारी थे।
आइफा अवॉर्ड होस्ट करेंगे रणवीर और अर्जुन

आइफा अवॉर्ड होस्ट करेंगे रणवीर और अर्जुन

इस साल आइफा पुरस्कारों की मेजबानी रणवीर सिंह के साथ करने को लेकर उत्साहित अभिनेता अर्जुन कपूर को इस बात की खुशी है कि राम लीला के अभिनेता रणवीर के साथ उनके तालमेल को दर्शको ने पसंद किया है।
फिर आ रहे हैं तनु-मनु

फिर आ रहे हैं तनु-मनु

तनु-मनु ने अपने दर्शकों को खूब गुदगुदाया था। कंगना और माधवन की इस जोड़ी ने ‘ऑन स्क्रीन केमेस्ट्री’ को जैसे पंख लगा दिए थे। अब यही सफलता फिर दोहराई जाएगी, बस अगले हफ्ते।
जिंदगी ही नहीं सरकारें भी बदल डाली

जिंदगी ही नहीं सरकारें भी बदल डाली

मिस्र, लीबिया, ट्यूनिशिया जैसे देशों में कई दशकों से जमे तानाशाहों को जनता के विद्रोह ने सत्ता से हटने पर मजबूर कर दिया और जनता के बीच संवाद पैदा करने में मुख्य भूमिका फेसबुक और ट्वीटर जैसी वेबसाइटों ने निभाई। सोशल मीडिया ने दुनिया के कई देशों में दशकों से जमी हुई सत्ता को इतनी सुगमता से उखाड़ फेंका है कि इससे डर कर कई देशों ने अपने यहां इंटरनेट पर कड़ी सेंसरशिप लागू कर दी है।
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