प्रतिरोध का सिनेमा अभियान 12 साल का हो गया है। हर साल कुछ चुनिंदा फिल्में, फिल्मकार और बुद्धिजीवी जुटते हैं और सिनेमा की भाषा में वह कहते हैं जो आम आदमी भी कहना चाहता है।
सिनेमा ऐसा माध्यम है, जिसने कला की हर विधा के अस्तित्व को जीवित रखा है, कारण है संगीत, संवाद, कहानी लेखन, अभिनय, छायांकन, रचनात्मकता और प्रबंधन का सम्मिश्रण।