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इलाज के लिए न डाॅक्टर हैं और न दवा

इलाज के लिए न डाॅक्टर हैं और न दवा

पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिले गाजीपुर में स्वास्थ्य सेवाओं का इतना बुरा हाल है कि यहां के अस्पतालों को ही इलाज की जरुरत महसूस होने लगी है। डाॅक्टर और दवा दोनों ही जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की समस्या है।
‘प्यारी मौत शुक्रिया, अरुणा को ले जाने के लिए’

‘प्यारी मौत शुक्रिया, अरुणा को ले जाने के लिए’

38 साल बाद बिना न्याय पाए अरुणा शानबाग ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। जैसे ही अरुणा शानबाग की मौत की खबर की पुष्टि हुई, सोशल मीडिया पर हैशटेग # Aruna shanbaug पर सेलिब्रिटिज समेत तमाम लोगों ने अरुणा के प्रतिं संवेदना जाहिर की। कुछ ने बलात्कार पर कानून के ढीले रवैये पर गुस्सा जाहिर किया तो कुछ ने समाज पर। इस बीच ज्यादातर लोगों ने मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) अस्पताल के स्टाफ की उन नर्सों को सलाम किया, जो बिना स्वार्थ के पिछले 38 सालों से अरुणा की सेवा कर रही थीं। फेसबुक और टि्वटर पर अरुणा को श्रद्धांजलि संबंधी कुछ टिप्पणियां-
अरुणा शानबाग की मौत और मुक्ति की जद्दोजहद

अरुणा शानबाग की मौत और मुक्ति की जद्दोजहद

पिछले 42 साल में उसने एक शब्द नहीं बोला न ही एक कदम भी वह चल पाई। जीवन के चार दशक उसने बिस्तर पर बिताए जबकि 23 साल की उम्र में उसने भी एक सुखमय विवाहित जीवन के सपने देखे थे और उसके सपने सच होने में केवल कुछ दिनों का ही फासला था। लेकिन महज एक पुरुष की हवस ने उसके जीवन को नरक में बदल दिया।
42 साल कोमा के बाद अरुणा शानबाग का निधन

42 साल कोमा के बाद अरुणा शानबाग का निधन

करीब 42 सालों से जिंदा लाश की तरह केईएम अस्पताल के वॉर्ड नंबर 4 में भर्ती अरुणा शानबाग की मौत हो गई। तीन दिन पहले उन्हें निमोनिया के चलते आईसीयू में रखा गया था।
पेट्रोलियम कंपनियों का वित्तीय बोझ कम करे सरकार

पेट्रोलियम कंपनियों का वित्तीय बोझ कम करे सरकार

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि तेल एवं गैस उत्खनन करने वाली ओएनजीसी और ऑयल इंडिया जैसी सरकारी कंपनियों का शुद्ध मार्जिन कच्चे तेल के दामों में कमी के कारण घट गया है, लिहाजा उन पर वित्तीय बोझ कम किया जाना चाहिए।
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