जरी की सिल्क साड़ी, बालों में गजरा, कानों में झुमके के साथ सोहा अली खान अपनी पहली गोद भराई के लिए तैयार थीं। पति कुणाल खेमू के साथ छोटे से फंक्शन में लिए गए फोटो सोहा ने ट्वीट किए।
हिंसा की आग में पिछले कई दिनों से सुलग रहे सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में शुक्रवार को पहली बार खुशी का महौल देखने को मिला। इस खुशी का कारण कुछ और नहीं बल्कि एक दलित परिवार में दो बहनों की शादी को लेकर था। शादी की वजह से गांव में कई दिनों के बाद खुशी का माहौल दिखा।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक ऐसा अजीबो गरीब वाकया हुआ, जो शादी टूटने का कारण बन गया। शादी टूटने का कारण दहेज या कोई अफेयर नहीं बल्कि एक रसगुल्ला बन गया। यूं कहे तो इस शादी में सिर्फ एक रसगुल्ला सबसे बड़ा विवाद बन गया।
मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला जल्द ही अपने लंबे समय तक के साथी डेसमंड कोउटिनहो के साथ शादी करने जा रही हैं। अभी तमिलनाडु में रह रही इरोम का कहना है कि वह जुलाई के अंत तक तमिलनाडु में ही शादी करेंगी।
मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के माना गांव में आजादी के बाद पहली बार दलित समाज के एक युगल की शादी में बैंड बाजे के साथ धूमधाम से बारात निकाली गई, लेकिन इसके लिए सरकार को सशस्त्र पुलिस बल तैनात करनी पड़ी।
बीते कई महीनों से ट्रिपल तलाक का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। हाल में वॉट्सऐप, पत्र और टेलीफोन के माध्यम से दिए गए तलाक के बाद बॉलीवुड के 'नवाब' यानि सैफ अली खान इस मुद्दे पर शांत नहीं बैठ पाए। उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि वह इस प्रथा से बिल्कुल भी सहमत नहीं है।
प्रख्यात सरोद वादक अमजद अली खान का कहना है कि यह दुखद है कि शिक्षा लोगों को एक दूसरे के प्रति हमदर्द बनाने में नाकाम रही और दुर्भाग्य से कुछ लोग आज के दौर में भी मंदिर और मस्जिद बनाने के बारे में बात करते हैं।
पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने पाक में अल्पसंख्यक हिंदुओं की शादियों को लेकर बनाए गए नियमन के विधेयक को मंजूरी दे दी है। मंजूरी के बाद आज यह विधेयक कानून बन गया है और इसके लिए एक विशेष ‘पर्सनल लॉ' बनाया गया है।
महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष रावसाहब दानवे ने अपने बेटे की शाही शादी में करीब 6 से 7 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। मीडिया रिपोर्ट में इसका हवाला दिया गया है। केंद्र की मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद इस तरह की शाही शादी मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है।
विशाल भारद्वाज बड़े कैनवास पर फिल्म रंगून ले कर आए हैं। ओमकारा, मकबूल, हैदर बनाने वाले निर्देशक इतनी बड़ी चूक कर सकते हैं यकीन करना थोड़ा मुश्किल है। दुखांत अंत उनकी फिल्मों का स्थाई भाव रहता है जो यहां भी है। लेकिन ओमकारा या मकबूल में यह दर्शकों को सिहरा देता था और यहां दर्शक राहत की सांस लेते हैं कि चलो फिल्म अब खत्म होगी।