छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में बेहाल शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने में कलेक्टर अवनीश शरण का बहुत बड़ा हाथ है। ये पहला मौका नहीं है, जब अवनीश ने अपनी बेटी का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराया, इससे पहले उन्होंने अपनी बेटी को 9 माह तक आंगनबाड़ी में पढ़ाया था।
केरल में मंत्रियों और अधिकारियों ने हमेशा से दिए जा रहे उदाहरण को अपनाते हुए एक अच्छी कोशिश की ओर कदम बढ़ाया है। सरकारी स्कूल की जर्जर हालात को देखते हुए हमेशा से एक उदाहरण दिया जाता है कि अगर मंत्रियों और अधिकारियों के बच्चें सरकारी स्कूल में पढ़ने लग जाए तो हालात में तेजी से सुधार हो सकता है।