![मृदुला गर्ग की बेगानी दास्तानें](https://outlookhindi-assets.s3.ap-south-1.amazonaws.com/public/uploads/article/gallery/56f3a08d7f2ba98325acbc3affa99c9a.jpg)
मृदुला गर्ग की बेगानी दास्तानें
‘निर्वासन मर्जी से हो या जबरदस्ती, देश से आप खुद निकलें या निकाले गए हों, इसका दर्द और विसंगत स्थितियों से उत्पन्न दुविधा उसके प्रभाव को एकपक्षीय नहीं रहने देती। किसी अनजान मुल्क की तमीज-तहजीब सीखने और उसकी संस्कृति में रचने-बसने की कोशिश, खासी त्रासदायी होती है। विडंबना और विसंगतियों से भरी।’