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जानिए, यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने पर भारत को क्‍या नुकसान होगा

जानिए, यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने पर भारत को क्‍या नुकसान होगा

ब्रिटेन 28 देशों के यूरोपीय यूनियन से अलग होने की राह पर है। इस अलगाव के बाद भारत और दुनिया की अर्थव्‍यस्‍था पर व्‍यापक असर पड़ने लगा है। दुनिया भर के बाजार गिरने का खतरा मंडरा रहा है। भारतीय शेयर बाजार में प्री ओपनिंग में सेंसेक्स 900 अंक तक गिर गया है। निफ्टी में भी 300 अंक की गिरावट दर्ज की गई है। रुपया भी डॉलर के मुकाबले 68 रुपए के स्‍तर से अधिक हो गया है। ब्रिटेन की मुद्रा पाउंड 30 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।
राजन के सेवा विस्तार मुद्दे पर ऑनलाइन चर्चा भी गर्म

राजन के सेवा विस्तार मुद्दे पर ऑनलाइन चर्चा भी गर्म

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन के सेवा विस्तार पर राजनीतिक और उद्योग जगत में जारी चर्चा के बीच अब यह मामला इंटरनेट पर भी मामला गरमा गया है। इस समय सोशल मीडिया में कम से कम सात ऑनलाइन अपीलें राजन के विस्तार के समर्थन में घूम रही हैं। इन अपीलों पर अब तक 60,000 से अधिक हस्ताक्षर हो चुके हैं।
ईरान से भारत के मजबूत होते संबंधों पर अमेरिका की गहरी निगाह

ईरान से भारत के मजबूत होते संबंधों पर अमेरिका की गहरी निगाह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा से भारत-ईरान के मजबूत होते रिश्तों पर अमेरिका बेहद करीब से नजर रख रहा है। चाबहार बंदरगाह के लिए 50 करोड़ डॉलर निवेश की भारत की घोषणा को लेकर ओबामा सरकार ने सांसदों से कहा है कि अमेरिका ईरान के साथ भारत के बढ़ते रिश्तों पर बहुत करीब से निगाह रख रहा है और देखेगा कि क्या इसके कानूनी पहलु और जरूरतें पूरी की गई हैं या नहीं।
अमेरिका में ट्रंप और हिलेरी के बीच हो सकता है सीधा मुकाबला

अमेरिका में ट्रंप और हिलेरी के बीच हो सकता है सीधा मुकाबला

अमेरिका के राष्‍ट्रपति पद के चुनावों का प्राइमरी सत्र जहां अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है, वहीं अमेरिका के इस शीर्ष पद का मुकाबला न्यूयार्क के दो निवासियों यानी रियल एस्टेट क्षेत्र के दिग्गज डोनाल्ड ट्रंप और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के बीच सिमट गया है।
न्यायिक नियुक्तियां - पारदर्शिता हो, आजादी भी

न्यायिक नियुक्तियां - पारदर्शिता हो, आजादी भी

संविधान का अनुच्छेद 124 मूल रूप से यह कहता है, 'सुप्रीम कोर्ट के हर जज की नियुक्ति राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के संबंधित जजों से सलाह-मशविरे से करेंगें जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) से हमेशा सलाह ली जाएगी। जजों की नियुक्ति एवं तबादले में किसकी चलेगी इसे लेकर न्यायपालिका और कार्यपालिका में 1980 के दशक से ही जोर-आजमाइश चल रही है।
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