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प्याज, चना, सोया डीओसी और डेयरी उत्पादों पर निर्यातकों को मिलेगा 5 से 10 फीसदी तक इंसें‌टिव

प्याज, चना, सोया डीओसी और डेयरी उत्पादों पर निर्यातकों को मिलेगा 5 से 10 फीसदी तक इंसें‌टिव

निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने प्याज के साथ ही डेयरी उत्पादों पर निर्यातकों को 5 से 10...
मदर डेयरी ने दूध के दाम बढ़ाए

मदर डेयरी ने दूध के दाम बढ़ाए

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दूध का खुदरा कारोबार करने वाली इकाई मदर डेयरी ने दूध के एक लीटर और आधा लीटर के पैक के दाम में प्रति पैकेट एक-एक रुपये की वृद्धि की घोषणा की।
मदर डेयरी गाय का दूध बेचेगी, वर्ष में पांच लाख लीटर प्रतिदिन की बिक्री का लक्ष्य

मदर डेयरी गाय का दूध बेचेगी, वर्ष में पांच लाख लीटर प्रतिदिन की बिक्री का लक्ष्य

मदर डेयरी ने मंगलवार को कहा कि उसने गाय दूध के खंड में प्रवेश किया है और वह अगले एक वर्ष में पांच लाख लीटर प्रतिदिन का कारोबार हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
अनु सिंह चौधरी की कहानी 'प्लीज डू नॉट डिस्टर्ब'

अनु सिंह चौधरी की कहानी 'प्लीज डू नॉट डिस्टर्ब'

लेडी श्रीराम कॉलेज और भारतीय जनसंचार संस्थान से पढ़ाई के बाद पांच साल टीवी की नौकरी की। फिलहाल डॉक्युमेंट्री फिल्ममेकर, कम्युनिकेशन्स कंसलटेंट और अनुवादक के रूप में काम। पहला कहानी संग्रह नीला स्कार्फ बहुत ज्यादा चर्चित। मदरहुड और पेरेंटिंग पर पहली हिंदी की किताब मम्मा की डायरी को भी बहुत सराहना।
दालों की महंगाई पर हरकत में सरकार, बनेगा बफर स्टॉक

दालों की महंगाई पर हरकत में सरकार, बनेगा बफर स्टॉक

सरकार ने आज कहा कि वह दलहन की कीमतों को नियंत्रित रखने के उद्देश्य से इसका बफर स्टॉक बनाने के लिए किसानों से 40,000 टन दलहन की खरीद करेगी। दलहनों की कीमतें खुदरा बाजार में इस समय 190 रपये प्रति किलो तक पहुंच गई है।
सिगरेट का आखरी कश

सिगरेट का आखरी कश

लेडी श्रीराम कॉलेज और भारतीय जनसंचार संस्थान से पढ़ाई के बाद पांच साल टीवी की नौकरी की। फिलहाल डॉक्युमेंट्री फिल्ममेकर, कम्युनिकेशन्स कंसलटेंट और अनुवादक के रूप में काम। पहला कहानी संग्रह नीला स्कार्फ बहुत ज्यादा चर्चित। मदरहुड और पेरेंटिंग पर पहली हिंदी की किताब मम्मा की डायरी को भी बहुत सराहना।
मम्मा की डायरी के बहाने

मम्मा की डायरी के बहाने

इंडिया हैबिटेट सेंटर का केसोरिना हॉल। जब हम पहुंचे तो हॉल में गिनती के लोग। देखते ही देखते हॉल में बच्चों की शैतानियां शुरू हो गईं। मम्मियों की आंखें लाल होने लगीं और इस सबके बीच सज गया मंच, ‘मम्मा की डायरी’ पर बातों के लिए। नताशा ने संचालन का जिम्मा उठाया और लेखिका अनु सिंह चौधरी ने बातों की भूमिका बांधी। एक सवाल के साथ, ‘मैं मां न होती तो न जाने क्या होती?’ औपचारिक शुरुआत दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों की बनाई फिल्म, ‘आओगी न मां’ से हुई। संवाद के तौर-तरीके चिट्ठी-पत्री से बदल कर ईमेल तक पहुंचे।