आयकर विभाग अगले महीने से ‘प्रोजेक्ट इनसाइट’ के तहत बड़े पैमाने पर डेटा विश्लेषण और सोशल साइटों पर मौजूद सूचनाओं को मिलाएगा जिससे किसी व्यक्ति के खर्च और घोषित आमदनी के बीच अंतर का पता लगाया जा सके।
समाचार एजेंसी के मुताबिक, कोर्ट ने निजी स्कूलों से कहा है कि वो कैश, एफडी या ड्राफ्ट के रूप में ये पैसा जमा करा सकते हैं। बता दें कि 2006 से 2009 तक 32 महीने की फीस मनमाने ढंग से वसूली गई।