मध्य प्रदेश के नीमच जिले के गांव पिपलिया व्यास में रविवार को 60 वर्षीय किसान प्यारेलाल ओड ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी। अब यह मामला राजनीतिक रंग लेने लगा है। आज कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता प्यारेलाल के परिजनों से मिलने पहुंचे। इधर जिला प्रशासन ने तत्काल न्यायिक जाँच के आदेश दे दिए।
फिल्म से राजनीति तक का सफर बखूबी तय करना यह सबके बस की बात नहीं, लेकिन थिएटर, बॉलीवुड और टीवी एक्ट्रेस किरण खेर ने यह सफर काफी शानदार तरीके से तय किया। किरण आज अपान 62वां जन्मदिन मना रही हैं। किरण वर्तमान में चण्डीगढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं।
मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस फायरिंग में 6 किसानों की मौत के बाद से जारी हिंसक विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब हिंसक प्रदर्शन मालवा क्षेत्र के अन्य जिलों में भी फैलने लगा है। अब शाजापुर-सीहोर में आंदोलनकारी उग्र हो गए जिसके चलते पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी। वहीं रायसेन तहसील के देगांव थाना क्षेत्र में किसान ने सल्फास की गोली खाकर की आत्महत्या कर ली।
आज दलित समुदाय हर दृष्टि से चौराहे पर खड़ा है। कई दशक बाद दलित राजनीति लगभग हाशिए पर पंहुच गई है। दलित जन प्रतिनिधियों से दलित समुदाय एकदम निराश है। वे समुदाय पर होने वाले अत्याचार के मसलों पर कुछ नहीं बोलते हैं। अब दलित समाज में उन्हें खुले मंचों से पूना पैक्ट की खरपतवार कहना शुरू कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की योगी आदित्यनाथ सरकार अब मायावती की बहुजन समाज पार्टी को मूर्तियों के मंच पर टक्कर देगी। हाल के विधानसभा चुनावों में मायावती के पाले से बसपा के कई नेताओं और गैर-जाटव वोट बैंक को तोड़कर भाजपा ने अपने लिए एक नया जनाधार कायम किया था। लेकिन अब शायद उसे लगता है कि दलित गौरव के नाम पर बने आंबेडकर पार्कों और स्मारकों की भी सोशल इंजीनियरिंग जरूरी है। सो, अब योगी सरकार इन पार्कों में अति पिछड़े समाज और ऊंची जाति के महानायकों की भी मूर्तियां लगाएगी।
साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत को आजकल कई लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इस विरोध का कारण कुछ और नहीं बल्कि रजनी के राजनीति में आने की खबरों को लेकर है। एक स्थानीय संगठन तमिलर मुन्नेत्र पडाई (टीएमपी) ने उनके खिलाफ विरोध शुरू कर दिया है।
साउथ सुपरस्टार रजनीकांत जल्द ही राजनीति के पायदान पर कदम रख सकते हैं। इस तरह के संकेत कहीं और से नहीं बल्कि रजनी द्वारा अपने फैन्स को दिए जा रहे बयानों से साफ नजर आया। रजनी ने न सिर्फ राजनीति में ही आने की बात नहीं की बल्कि द्रमुक एवं अन्नाद्रमुक की बजाय किसी अन्य पक्ष के साथ गरीबों की राजनीति करने की बात कही।