सीमा के मुद्दे पर भारत और चीन के बीच टकराव जारी है। अब चीन के सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने धमकी भरे लहजे में लिखा है कि चीन किसी भ्ाी टकराव के लिए तैयार है। वहीं चीन ने तिब्बत में युद्ध-अभ्यास भी किया है।
चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि उसके कुछ अधिकारी तिब्बतियों के 81 वर्षीय सर्वोच्च धार्मिक नेता दलाई लामा को चंदा देकर उनकी मदद कर रहे हैं। सरकारी ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार एक वरिष्ठ अधिकारी ने 14वें दलाई लामा को कथित तौर पर चंदा देने को लेकर पार्टी के कुछ अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार अलगाववाद के खिलाफ पार्टी की लड़ाई को कमजोर करता है।
लद्दाख की बर्फीली ऊंचाइयों पर नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस आए चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच गतिरोध अब भी कायम है। बुधवार को पिपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान भारतीय क्षेत्र में घुस आए थे और मनरेगा योजना के तहत किए जा रहे सिंचाई नहर के निर्माण कार्य को रोक दिया था।
भारत में अमेरिका के राजदूत द्वारा अरूणाचल प्रदेश का दौरा किए जाने पर चीन ने कड़ा एतराज जताते हुए अमेरिका को चेतावनी दी है कि चीन-भारत सीमा विवाद में उसका कोई भी हस्तक्षेप इस विषय को और भी पेचीदा बनाएगा और सीमा पर कड़ी मेहनत से हासिल की गई शांति में खलल डालेगा। हालांकि भारत ने चीन की प्रतिक्रिया पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि अरूणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और इसलिए अमेरिकी राजदूत के वहां का दौरा करने में कुछ भी गलत नहीं है।
भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी का प्रवाह रोक दिया है। चीन की इस हरकत से भारत में चिंता पैदा हो सकती है क्योंकि इससे निचले बहाव वाले देशों में जल का प्रवाह प्रभावित होने की आशंका है।
हर साल की तरह इस साल भी तवांग तीर्थ यात्रा 19 नवंबर से 24 नवंबर के बीच जाएगी। गोवाहाटी से शुरू होने वाली इस यात्रा में तिब्बत की आजादी का सपना लिए राष्ट्रभक्त जाएंगे। इस यात्रा का उद्देश्य चीन के कब्जे से तिब्बत को छुड़ाना है।
‘शक्तिशाली चीनी ताकत से तिब्बत अपने अहिंसात्मक संघर्ष के जरिए उसी तरह स्वतंत्र होकर रहेगा जैसे भारत, दक्षिण अफ्रीका आदि ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्र हो गए।’ यह बात तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री डॉ. लोबसांग सांगे ने आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित ‘आचार्य कृपलानी स्मृति व्याख्यान’ में कही।