अगर किसी फिल्म में इरफान हों तो कहानी का टेंशन लेने की जरूरत नहीं होती। फिल्म में कुछ नहीं भी होगा तो इरफान इतने सटीक ढंग से होंगे कि उन्हीं के सहारे ढाई-तीन घंटे का वक्त कट जाएगा। तो इस फिल्म में भी बिलकुल परफेक्ट टाइमिंग के साथ राज यानी कि इरफान मौजूद हैं।
दिल्ली नगर निगम चुनाव में हार के बाद पार्टी में मचे कोहराम से यह सवाल शिद्दत से खड़ा हो गया है कि क्या आम आदमी पार्टी बिखर जाएगी? क्या नई राजनीति की डाल उसके हाथ से छूट गई है? ऐसे सवालों पर अरविंद केजरीवाल के बाद आप के सबसे कद्दावर नेता, दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया फौरन कहते हैं, ‘‘टीवी बहस में तो हजारों बार दफन की जा चुकी है आप।’’ उन्हें पूरा भरोसा है कि आप जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगी। आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह के साथ बातचीत में सिसोदिया ने विस्तार से पार्टी की हार के कारणों और आगे की रणनीति पर चर्चा की। प्रमुख अंश:
सतारा जिले का एक गांव स्ट्रॉबेरी के लिए काफी लोकप्रिय है लेकिन अब यह गांव किताबों के कारण भी लोकप्रिय होने जा रहा है। दरअसल इस गांव को भारत का पहला किताबों का गांव वाला टैग मिलने वाला है।
अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की होम प्रोडक्शन की पहली मराठी फिल्म वेंटिलेटर का चयन तीन राष्ट्रीय अवार्ड के लिए किया गया है। अभिनेत्री ने कहा कि इस तरह का सम्मान प्रोत्साहित करता है लेकिन वह यह तय नहीं कर सकता है कि भविष्य में वह कैसी फिल्में करेंगी।
दिग्गज नेताओं शरद पवार, मुरली मनोहर जोशी और लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत पीए संगमा, क्रिकेटर विराट कोहली और गायिका अनुराधा पौडवाल सहित 39 लोगों को पद्म पुरस्कार प्रदान किए गए।
हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध अभिनेता अनुपम खेर ने सेंसर बोर्ड को अपनी नियम पुस्तिका पर पुनर्विचार करने की बात कही। उन्होंने कहा, सेंसर बोर्ड के दिशा-निर्देशों को लिखे हुए छह दशक से अधिक समय बीत गया है इसलिए इस पर एक बार पुनर्विचार करना चाहिए।
कलम, किताब, चम्मच, प्लेट महिलाओं के लिए हथियार साबित हो सकते हैं। इसके अलावा वे अपनी उंगलियों, मुक्कों और अपने पावों से भी बुरी नजर डालने वाले मजनुओं को ढेर कर सकती हैं।
फोलियो पुरस्कार प्राप्त लेखक जॉर्ज सौंडर्स अपना नया उपन्यास लिंकन इन द बाड्रो लेकर आए हैं। एक अकेली रात की पृष्ठभूमि पर आधारित इस उपन्यास में लेखक ने 11 वर्षीय बेटे विली की मौत से आहत अब्राहम लिंकन के दुख को दर्शाया गया है। यह वही वक्त था जब अमेरिका में गृहयुद्ध को लेकर नाराजगी उफान पर थी।
इस्लामी शिक्षा के बड़े संस्थान में उर्दू-अरबी और फारसी की पुरानी रचनाओं का होना कोई बडी बात नहीं। लेकिन इस्लाम से संबंधित पुस्तकों के जखीरे में संस्कृत में रचित ऋगवेद से लेकर रामायण व भगवत गीता को करीने से संजोकर रखा जाए तो यह काफी रोचक बात है। देवबंद के मशहूर इस्लामी शिक्षा केन्द्र दारूल उलूम में ये प्राचीन हिन्दू धार्मिक ग्रंथ कुरान समेत मजहबी इस्लामी शिक्षा से जुड़ी पुस्तकों के साथ प्रमुखता से उसके पुस्तक खजाने का हिस्सा हैं।