बजरंगी भाईजान की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर भले ही कमाई के सारे रेकॉर्ड तोड़ देती हों, उनके चाहने वाले हर बार उन्हें ही श्रेष्ठ अभिनेता की ट्रॉफी उठाए देखना चाहते हों मगर खुद सलमान ऐसा नहीं चाहते।
अखबारों की छोटी सी खबर से आम जनता को पता चला कि 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस होता है। हिंदी के प्रति प्रतिबद्ध सरकार में केवल विदेश मंत्रालय ने एक आयोजन किया।
सबसे ज्यादा प्रतीक्षित कार्यक्रम का अवॉर्ड यदि पुस्तक मेले के नाम किया जाए तो भी गलत नहीं होगा। किसी भी पर्व-त्योहार से ज्यादा इस मेले को लेकर उल्लास रहता है। हर साल दिल्ली के प्रगति मैदान में लाखों की संख्या में पुस्तक प्रेमी जुटते हैं।
भारत भर के तमाम पाठक, लेखक, प्रकाशक और पुस्तक मेले के प्रशंसक हर बरस मेले की बाट जोहते हैं। इस साल यह मेला हर साल की तरह प्रगति मैदान में 9 से 17 जनवरी 2016 को होगा।
दिल्ली पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की। 2015 के नवंबर महीने में भारत के सबसे बड़े लूट कांड को सुलझाने के लिए दिल्ली पुलिस का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज किया गया है।
खाना पकाना अच्छा लग सकता है। लेकिन जब बच्चों के लिए पकाना पड़े तो सरदर्दी हो जाती है। बच्चे किस पकवान पर नाक-भौं सिकोड़ देंगे कहा नहीं जा सकता। यदि कोई किताब मिल जाए जिसमें बच्चों की मनपसंद खाने की विधियां भी हों और यह पौष्टिक भी हो तो कैसा रहे।
आम भाषा में कहा जाए तो अब रसोइयों को भी पद्मश्री पुरस्कार मिल सकेगा। देश के नामी-गिरामी शेफ जिन्होंने भारत के साथ विदेश में भी नाम कमाया है उन्हें पद्मश्री दिए जाने की सिफारिश संस्कृति मंत्रालय ने गृह मंत्रालय को भेजी है।
किताब वापसी अभियान में दो दर्जन कवि, लेखक एवं कलाकारों का एक दल साहित्यकार अशोक वाजपेयी के वसुंधरा इन्क्लेव,दिल्ली स्थित घर पर शनिवार को सुबह पहुंचा। अभियान की तरफ से तीन लोगों का एक प्रतिनिधि मंडल अशोक वाजपेयी से मिला।प्रतिनिधि मंडल में कवि रसिक गुप्त, विनीत पांडेय और छायाकार आत्माराम शामिल थे। प्रतिनिधि मंडल ने किताब वापसी अभियान की तरफ से अशोक वाजपेयी की लिखी हुई एक किताब उनके द्वारा अकादेमी पुरस्कार वापसी के प्रतिकात्मक विरोध में उन्हें वापस की।
अपनी कर्मभूमि बरेली में आज सुबह अंतिम सांसे ली, हिंदी के हस्ताक्षर कवि वीरेन डंगवाल ने। पिछले कुछ सालों से वह मुंह के कैंसर से बहादुराना लड़ाई लड़ रहे थे।
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से जो छात्र डाॅक्टर बनकर निकल रहे हैं, उसमें से 54 प्रतिशत डाॅक्टर विदेश चले जाते हैं और लौटकर भारत नहीं आते। रिपोर्ट यह भी कहती है कि हिन्दी माध्यम से स्कूल की पढ़ाई अच्छे अंकों से उत्तीर्ण करने वाले छात्र जब एम्स जैसी संस्था में पढ़ने जाते हैं, तो भाषाई स्तर पर पिछड़ने की वजह से उनमें से कई तो आत्महत्या तक कर लेते हैं। यही वजह है कि अब एमबीबीएस की परीक्षा हिंदी में कराने की मुहिम तेज हो गई है।