जाने-माने उर्दू कवि, आलोचक एवं वक्ता बशर नवाज का आज औरंगाबाद में निधन हो गया। वह कुछ समय से बीमार थे। हिंदी फिल्म बाजार का बेहद लोकप्रिय गीत ‘करोगे याद’ उन्होंने ही लिखा था।
भारत की विदेश गुप्तचर संस्था रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के पूर्व प्रमुख ए.एस. दुलत की आने वाली किताब ‘कश्मीरः द वाजपेयी ईयर्स’ के अंश और खुद दुलत के मीडिया में चल रहे इंटरव्यू ने एक बार फिर कांग्रेस को भाजपा पर हमलावर होने का मौका दे दिया है।
वर्ष 1975 की 25 जून को इंदिरा गांधी सरकार ने आंतरिक आपातकाल की घोषणा की और भारतीय राजनीति के इस काले अध्याय से जुड़ी घटनाओं को तब अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एमसीडी बीट कवर करने वाली पत्रकार कूमी कपूर ने किताब की शक्ल दी है। यहां हम इस पुस्तक के कुछ अंशों को पाठकों के सामने ला रहे हैं जिनमें आपातकाल से ठीक पहले की घटनाओं का जिक्र है।
हिंदी में सिनेमा के इतिहास पर सबसे नई पुस्तक है - समय, सिनेमा और इतिहास। हिंदी सिनेमा के सौ साल पूरे होने पर जश्न तो कई हुए, अखबारों, पत्रिकाओं में कई अहम विशेषांक भी निकले लेकिन पुस्तक के रूप में बॉलीवुड के इतिहास को नए तरीके से समेटने का काम कम हुआ। कुछ देर से ही सही, लेकिन संजीव श्रीवास्तव की यह पुस्तक इस मायने में काफी सराहनीय है। पुस्तक में शामिल सौ साल से अधिक के हिंदी सिनेमा की बड़ी तस्वीरें, व्यक्ति और समाज की अनुभूति और अभिव्यक्ति की बहुरंगी भाव-भंगिमाओं को विविघता से संजोए हुए हैं। यहां व्यावसायिकता की चकाचौंध है, तो कला की प्रांजलता भी। बाजार के दबाव और समझौते की कहानियां हैं तो प्रतिबद सामाजिक सरोकार के नजीर भी हैं।
सितंबर से ऐसे व्यक्ति जो उर्दू, अरबी या अंग्रेजी न जानता हो वह भी दुबई में ड्राइविंग की परीक्षा दे सकते हैं। संयुक्त अरब अमीरात में आने वाले सितंबर से यह परीक्षा हिंदी में भी होगी। हिंदी के अलावा अब ड्राइविंग लाइसेंस पाने की इच्छुक अभ्यर्थी मलयालम, तमिल, बांग्ला, चीनी, रूसी और फारसी भाषा का भी चयन कर सकते हैं।
इस साल आइफा पुरस्कारों की मेजबानी रणवीर सिंह के साथ करने को लेकर उत्साहित अभिनेता अर्जुन कपूर को इस बात की खुशी है कि राम लीला के अभिनेता रणवीर के साथ उनके तालमेल को दर्शको ने पसंद किया है।
लोगों में आज सफल होने की होड़ तेजी से बढ़ने पर चिंता व्यक्त करते हुए जानी मानी लेखिका अलका सरावगी ने कहा कि आज बाजार सबके लिए मूल्यबोध के पैमाने बनने के साथ साधन एवं साध्य बन गया है और ऐसे में लेखकों की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है।
राजीव गांधी हत्याकांड से जुड़े कई प्रश्न आज भी जिंदा हें। कई लोग भी इन सवालों के घेरे में आए। राजीव गांधी की 24वीं पुण्यतिथि इक्कीस मई से पूर्व इस हत्याकांड से जुड़े सवालों पर नजर
पुरस्कारों में लॉबिंग को लेकर बाबा रामदेव ने हमला बोला है। रामदेव का कहना है कि पद्म पुरस्कारों और नोबेल पुरस्कार तक के लिए भी चयन की प्रक्रिया में बहुत लाॅबिंग होती है और जिनके पास राजनीतिक रसूख होता है वे इसे पाने में सफल होते हैं। हाल ही में योगगुरू ने पद्म विभूषण को स्वीकार करने से मना कर दिया था।