वाणी की निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह पुरस्कार देश के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरंतर और कम से कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने में गुणात्मक योगदान दिया है| इसी आधार पर अनामिका को नमिता गोखले, संस्थापक और सह-निदेशक, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल; नीता गुप्ता, निदेशक, जयपुर बुक मार्क और संदीप भुटोरिया, सांस्कृतिक आलोचक के निर्णायक मंडल ने चुना है।
आलोचक वैभव सिंह को 20 वां देवी शंकर अवस्थी सम्मान उनकी पुस्तक, भारतीय उपन्यास और आधुनिकता के लिए दिया गया। आलोचना की यह पुस्तक आधार प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।
मीरांबाई की संघर्ष-यात्रा को केंद्र में रखकर लिखा गया उपन्यास ‘रंग राची’ आखिरकार पाठकों तक पहुंच ही गया। दिल्ली के साहित्य अकादमी सभागार में नामवर सिंह ने अध्यक्षीय आशीर्वचन दिया। उन्होंने कहा, ‘हिंदी में बहुत कवयित्रियां हुई लेकिन जो स्थान मीरां ने बनाया वह सब के लिए आदर्श है। मीरा को करूणा, दया के पात्र के रूप में देखने की जरूरत नहीं है, मीरां स्त्रियों के स्वाभिमान की प्रतीक हैं।’ इस उपन्यास को सुधाकर अदीब ने लिखा है और यह राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है।