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एमपी के खंडवा में कुएं के अंदर जहरीली गैस से दम घुटने से 8 की मौत, सीएम ने की 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा

एमपी के खंडवा में कुएं के अंदर जहरीली गैस से दम घुटने से 8 की मौत, सीएम ने की 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा

मध्य प्रदेश के खंडवा में गुरुवार को कुएं में जहरीली गैस से दम घुटने से आठ लोगों की मौत हो गई।खंडवा...
लोकसभा उपचुनाव: कांग्रेस ने मंडी से पूर्व सीएम वीरभद्र की पत्नी और खंडवा से राजनारायण को बनाया उम्मीदवार, इन विधानसभा सीटों के लिए भी दिए टिकट

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कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट के उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी...
उर्दू अदब की कहानी,शायर हनफी की जुबानी

उर्दू अदब की कहानी,शायर हनफी की जुबानी

‘गजल एक लंबी यात्रा तय करती हुई, वस्ल की रात, महबूब की जुल्फें, हिज्र, सनम की बेरुखी, रुखसार, हुस्न और इश्क के सांचे से निकल चुकी है।‘ ऐसा कहना है कि उर्दू के मशहूर अफसानानिगार और गजलकार मुजफ्फर हनफी का। वह कहते हैं, ‘ लोग मानते हैं कि गजल औरतों से गुफ्तगू करने का नाम है, जो इश्कमिजाजी से लबरेज रहती है जबकि गजल अब विषय पर केंद्रित हो चुकी है। यहां तक कि गालिब जैसों ने भी विषयों पर गजलें लिखी है लेकिन यह अलग बात है कि गजल के उस रूप को तवज्जो कम मिली।
वनमाली स्मृति व्याख्यानमाला

वनमाली स्मृति व्याख्यानमाला

‘कभी जीवन का सर्वांगीण विकास करने वाली शिक्षा आज तरक्की के नाम पर पूंजीवाद की गिरफ्त में है। संस्कारों की पहली पाठशाला घर-परिवार थे, जो अब सन्नाटे फांक रहे हैं और पाठशालाएं गोडाउन बन गई हैं जहां बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। मुनाफे का सौदा बन चुकी शिक्षा का आदर्श अब बाजार के बीहड़ में बिला गया है।’ फिल्म समीक्षक और चिंतक जयप्रकाश चौकसे ने इस आशय के विचार खंडवा में आयोजित वनमाली व्याख्यानमाला में व्यक्त किए।
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