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जंगली जानवरों के हमलों से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के पास पर्याप्त धन नहीं: प्रियंका गांधी वाड्रा

जंगली जानवरों के हमलों से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के पास पर्याप्त धन नहीं: प्रियंका गांधी वाड्रा

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने मंगलवार को कहा कि जंगली जानवरों के हमलों से मानव...
पांच साल में 260 जानें लीं जंगली जानवरों ने

पांच साल में 260 जानें लीं जंगली जानवरों ने

मध्यप्रदेश में मानव एवं जंगली जानवरों के बीच बढ़ी संघर्ष की घटनाओं के कारण पिछले पांच साल में करीब 260 लोगों न अपनी जान गंवाई है, तो घायलों की संख्या 10,955 बताई गई है।
चर्चाः चाहे कोई हमें जंगली कहे। आलोक मेहता

चर्चाः चाहे कोई हमें जंगली कहे। आलोक मेहता

हम हिंदुस्तानी का जवाब नहीं। दुनिया के किसी मुल्क और उसके प्रदेश या राजधानी का नेता अपनी प्यारी जनता और व्यवस्‍था को ‘जंगली’ नहीं बताता। लेकिन हाल के वर्षों में हमारे ‘सत्यवादी’ नेताओं ने पर्दाफाश का ठेका लेकर कहना शुरू कर दिया है- ‘दुनियावालों सुन लो- देख लो- यहां है जंगल राज।’
इस्मत चुगताई की कहानी 'लिहाफ'

इस्मत चुगताई की कहानी 'लिहाफ'

उर्दू की प्रसिद्ध लेखिका इस्मत चुगताई का जन्म 15 अगस्त 1915 को बदायूं, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह इस्मत आपा के नाम से मशहूर हुईं। उनके लेखन के साथ कई विवाद भी जुड़े रहे। वह बहुत विद्रोही लेखिका थीं और उन्होंने महिलाओं के बारे में खूब लिखा और उनके हक में सवाल उठाए। उनकी कहानियों में लड़कियों की मनोदशा और सच्चाई खूब अच्छी तरह से बयान हुए। उनकी कहानी लिहाफ के लिए लाहौर हाईकोर्ट में उन पर अश्लीलता का मुकदमा चलाया था, जो बाद में खारिज हो गया। 24 अक्टूबर 1991 को उनका निधन हुआ। सन 2015 में हम उनकी जन्मशताब्दी मना रहे हैं। उनकी मशहूर कहानी लिहाफ पाठकों के लिए।
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