स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने नकली और बिना मानक गुणवत्ता वाली दवाइयों की समस्याओं के लिए एक सर्वेक्षण करने से संबंधित कार्य राष्ट्रीय बायोलॉजिकल्स संस्थान (एनआईबी), नोएडा को सौंपा था। एनआईबी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
नई दवाइयों के विकास, मेडिकल आधुनिक तकनीकों के उपलब्धता और मिर्गी से जुडी स्थिति के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूकता रोगियों को सामान्य जिंदगी बिताने में काफी मदद कर रही है। मिर्गी दूसरा सबसे आम मस्तिष्क विकार है। भारत में प्रतिवर्ष 5 लाख नवजात शिशु मिर्गी की बीमारी के साथ जन्म ले रहे है। पिछले दशक में सिर की चोट लगने के कारण 20 फीसदी व्यस्कों में मिर्गी के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। भारत में तकरीबन 95 फीसदी लोग मिर्गी का इलाज ही नहीं करवा पाते जबकि 60 प्रतिशत शहरी लोग दौरा पड़ने के बाद डाॅक्टर से परामर्श लेते है और इस मामले में ग्रामीण भारतीय का प्रतिशत सिर्फ 10 फीसदी है।
किसान जो पहले ही जलवायु परिवर्तन समेत कई प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं। अब देश में गैरकानूनी और नकली कीटनाशी दवाओं के बेचे जाने का जख्म भी झेल रहे हैं। पंजाब में हुआ हालिया फसल नुकसान जहाँ नकली कीटनाशी के कारण कपास की फसल पूरी तरह तबाह हो गयी, इसी का एक उदाहरण है।