भले ही कई अध्ययन बताते हों कि दुनिया में अमीरी और गरीबी का अंतर बढ़ता ही जा रहा है और भूख और कुपोषण बहुत बड़ी समस्या बन गए हैं मगर एक हालिया अध्ययन बताता है कि विश्व की 76 प्रतिशत आबादी यानी करीब 550 करोड़ लोग मोटापे के शिकार बन गए हैं।
मोटापे का बच्चों की सेहत के साथ ही साथ उनके मनोविज्ञान पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। डॉक्टरों का कहना है कि बचपन का बुढ़ापा एक ऐसी स्थिति हैं जिसमें बच्चों का वजन उनकी उम्र और कद की तुलना में काफी ज्यादा बढ़ जाता है। भारत में हर साल बच्चों में मोटापे के 10 मिलियन मामले दर्ज होते हैं। इस स्थिति को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन इलाज काफी हद तक मदद कर सकता है।
मोटापे को लेकर हुए अपनी तरह के सबसे बड़े सर्वे में सामने आया है कि देश की 1.2 अरब की आबादी में से करीब 13 फीसदी लोग मोटापे से पीड़ित हो सकते हैं। यह विडंबना ही है क्योंकि हाल तक देश में कुपोषण एक बड़ी समस्या रहा है लेकिन अब एेसा लगता है कि मोटापा कुपोषण पर हावी होता जा रहा है।
वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन में पाया है कि तीखी मिर्च खाने से पेट की तंत्रिकाओं पर प्रभाव पड़ता है और मिर्च ज्यादा खाने से रोकती है। यह खोज मोटापा दूर करने के नए इलाज में कारगर हो सकती है।