सारिका का कहना है कि वह किसी भी तरह का किरदार अदा करने को तैयार हैं, चाहें फिर वह बड़े पर्दे पर हो या छोटे पर्दे पर लेकिन किरदार चुनौतीपूर्ण होना चाहिए।
अवधनारायण मुद्गल शीर्षक कहानी की शुरुआत 28 फरवरी 1936 को आगरा के ऐमन्पुरा में उनके जन्म से हुई। शिक्षा शास्त्री और साहित्य रत्न के अलावा मानव शास्त्र में एम.ए. की डिग्री लेने वाले अवध जी के बारे में कम लोग जानते हैं कि वह प्रगतिशील साहित्य के गहन अध्येता थे। गोर्की, चेखव, मार्क्स, एंगल्स और लेनिन के साथ साथ वह भारतीय दर्शन और पुरा कथा साहित्य के भी मर्मज्ञ थे।