राजनीतिक पार्टियां विधानसभा चुनाव से पहले अपने कार्यकर्ताओं के खाते में नकदी डालकर अपने काले धन को सफेद बनाने का प्रयास कर सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषक प्रधानमंत्री की पहल को मात्र लोकप्रियता हासिल करने के लिए उठाया गया कदम करार दे रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इससे राजनीतिक दलों द्वारा काले धन के इस्तेमाल पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने से राष्ट्रीय पार्टियों को लाभ होगा लेकिन छोटे क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका गौण होगी जो एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।