बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का परिणाम करीब 15 घंटे की मतगणना के बाद आ चुका है। राज्य में एक बार फिर से एनडीए की अगुवाई में नीतीश कुमार की सरकार बनने जा रही है। वहीं, महागठबंधन को 110 सीट से संतोष करना पड़ा है और बहुमत से 12 सीट दूर रह गए। जब तीसरे चरण का चुनाव 7 नवंबर को संपन्न हुआ और शाम में प्रमुख न्यूज चैनलों और उनकी एग्जिट पोल एजेंसियों ने, "बिहार में किसकी सरकार" सवालों का जवाब तलाशते हुए विभिन्न पार्टियों के वोट प्रतिशत और सीटों का अनुमान शेयर किया। जिसमें भारी मतों से महागठबंधन की सरकार बनती दिखाई गई। इसमें एक या दो एग्जिट पोल एजेंसियां नहीं, बल्कि सभी प्रमुख एजेंसियों ने अपना सर्वे जारी किया और महागठबंधन की अगुवाई में राजद नेता तेजस्वी यादव को अगला सीएम घोषित कर दिया। लेकिन, जैसे ही जनता द्वारा कैद ईवीएम में नेताओं की किस्मत का फैसला होना शुरू हुआ, मामला पलट गया और एनडीए सत्ता के दरवाजे पहुंच गई।
अब लोग एग्जिट पोल को लेकर तंज कस रहे हैं। सोशल मीडिया पर जमकर इसका मजाक उड़ाया जा रहा है। लोग न्यूज चैनलों और एग्जिट पोल एजेंसियों से पूछ रहे हैं कि "वर्क फ्रॉम होम किया था क्या?"
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एनडीटीवी के पत्रकार और एंकर संकेत उपाध्याय ने परिणाम आने के बाद अपने ट्वीटर हैंडल से तंज कसते हुए लिखा, "लगता है इस बार एग्जिट पोल वाले फील्ड में गए ही नही़ थे, शायद वर्क फ्रॉम होम किया था।"
इसी तरह से एक फेसबुक यूजर आकाश वत्स लिखते हैं, “एग्जिट पोल करने वाले सभी वर्क फ्रॉम होम कर रहे थे। इसीलिए गलत साबित हुआ।“
कोरोना महामारी के बीच अधिकांश कंपनियां अपने कर्मचारियों के साथ वर्क फ्रॉम होम काम कर रही है। लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम सुर्खियों में रहा हैं।
एग्जिट पोल ने महागठबंधन को दी थी 180 सीटें
सभी प्रमुख एग्जिट पोल्स ने राज्य में महागठबंधन की सरकार बनती हुई दिखाई थी। यहां तक की न्यूज 18-चाणक्य एक्जिट पोल ने तो महागठबंधन के खाते में 180 सीटें आने का अनुमान बताया था और कमोबेश हर एजेंसियों का यही अनुमान था कि इस बार महागठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार कर जाएगी। लेकिन, जब ईवीएम में कैद नेताओं की किस्मत के फैसले होने शुरू हुए तो मामला पलट गया और एनडीए एक बार फिर से सत्ता में वापसी करने में कामयाब रही।
दरअसल, 2015 में भी एग्जिट पोल गलत साबित हुआ था। सभी ने राज्य एनडीए की सरकार बनने का अनुमान लगाया था लेकिन, परिणाम उलट हुआ। जेडीयू ने महागठबंधन के साथ मिल चुनाव लड़ा था। हालांकि, दिल्ली सरीखे कई अन्य राज्यों के चुनाव में एग्जिट पोल का अनुमान सही साबित हुआ है लेकिन ये बिहार में परे है।