पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का मामला अभी शांत नहीं हो पाया है। ऐसे में एक और पत्रकार की हत्या ने लोगों को हिला कर रख दिया है। त्रिपुरा में पत्रकार शांतनु भौमिक की हत्या के बाद एक बार फिर लोगों का रोष सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहा है। जहां लोग पत्रकारों पर बढ़ रहे हमलों को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग इसे विचारधारात्मक रूप देकर आरोप-प्रत्यारोप करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में कुछ लोग गलत तथ्यों का इस्तेमाल कर इस विमर्श अलग दिशा में भी ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या है मामला?
पश्चिमी त्रिपुरा के मंडई में बुधवार को राजनीतिक प्रदर्शन के दौरान एक टीवी पत्रकार की हत्या कर दी गई। शांतनु भौमिक नाम का यह पत्रकार मंडई में इंडिजनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) और सीपीआई-एम के ट्राइबल विंग ‘त्रिपुरा राजेर उपजाति गणमुक्ति परिषद (TRUGP)’ के टकराव को कवर करने गया था।
आइए जानते हैं इस हत्या के खिलाफ लोगों की प्रतिक्रियाएं।
आरएसएस चिंतक प्रो. राकेश सिन्हा लिखतै हैं, “यह चौंकाने वाला है। वाम शासित त्रिपुरा में मीडिया खतरे में है। भौमिक नक्सल समूह के विचारधारा वाला नहीं था।”
Its shocking free expression,media in danger in left rule Tripura.Bhoomik was free from ideological baggage nt mediated among naxals groups https://t.co/rRkugi8KJT
— Prof Rakesh Sinha (@RakeshSinha01) 20 September 2017
वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने अपने फेसबुक पर पोस्ट किया है, “बीते तीन साल के दौरान अब तक नौ पत्रकार मारे जा चुके हैं! यह भयानक स्थिति है। प्रेस फ्रीडम के अंतरराष्ट्रीय इंडेक्स में भारत की स्थिति इससे और खराब होगी!”
एंकर और पत्रकार रवीश कुमार ने फेसबुक पर लिखा है, “दुखद घटना है। अगर यही हाल रहा तो कोई पत्रकार किसी पार्टी या संगठन का प्रदर्शन कवर करने नहीं जाएगा। बल्कि कुछ दिनों के बंद कर देना चाहिए ताकि संभी संगठन इस बारे में विचार करें और अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को निर्देश दें कि कोई पत्रकार हो तो उस पर गुस्सा नहीं निकालना है। संगठनों की इस गुंडई का जमकर विरोध होना चाहिए। राज्य सरकार को शांतनु के परिवार को एक करोड़ की राशि देनी चाहिए और चुनाव आयोग को इसका पैसा इस संगठन से चार्ज करना चाहिए। न दे तो चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दे।”
जाने-माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने पत्रकारों से अपील करते हुए कहा कि अपने न्यूजरूम में 6 बजे शाम को इस हत्या के खिलाफ मौन धारण करें।
Calling all journalists: observe 2 minute silence in your newsrooms at 6 pm. Protest against killing of Santanu Bhowmik. #pendown
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) 21 September 2017
वहीं उन्होंने मानिक सरकार से शांतनु भोमिक की हत्या के खिलाफ अनुकरणीय कार्रवाई की उम्मीद जताई।
Manik Sarkar CPI M Govt, @SitaramYechury : can we expect swift, exemplary action against killers of Santanu Bhowmik? #withSantanu
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) 21 September 2017
उन्होंने ट्वीट कर कहा, “कल 4 बजे: शांतनु भौमिक की भयानक हत्या के खिलाफ प्रेस क्लब में विरोध के दौरान आप में से बहुत से लोगों को वहां देखने की आशा है।”
4 pm tomorrow: protest at Press Club against the horrific killing of Santanu Bhowmik. Hope to see many of you there. #WithSantanu
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) 21 September 2017
जबकि पत्रकार रोहित सरदाना ने ट्वीट कर कहा, “त्रिपुरा में युवा पत्रकार की हत्या हो गयी। 'आउटरेज इंडस्ट्री' में सन्नाटा है क्योंकि ये उनके गैंग का नहीं था? आज नहीं जाएंगे प्रेस क्लब?”
त्रिपुरा में युवा पत्रकार की हत्या हो गयी. 'आउटरेज इंडस्ट्री' में सन्नाटा है क्योंकि ये उनके गैंग का नहीं था?आज नहीं जाएँगे प्रेस क्लब? pic.twitter.com/sYLhGKq3Fz
— Rohit Sardana (@sardanarohit) 21 September 2017
वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यनम से कहा, “शान्तनु भौमिक की हत्या ने यही साबित किया है कि जुझारू पत्रकार न कम्युनिस्ट शासन में सुरक्षित हैं, न कांग्रेस या भाजपा राज में। हिंसा से कलम को कुचलने का अजीबोगरीब दौर है।”
वहीं कुछ लोग गलत तथ्यों और तर्कों के सहारे सोशल मीडिया में पत्रकार की हत्या के बाद हो रहे विमर्श को अलग रूप देना चाह रहे हैं। देखिए यह ट्वीट-
Tweets on #GauriLankesh
Sagarika: 46
Rana : 38
Rajdeep: 26
Nidhi : 38Tweets on Santanu Bhowmik
— Avinash Patel M (@Avinash_Patel9) 21 September 2017
Sagarika: 0
Rana : 0
Rajdeep: 0
Nidhi : 0
पत्रकार बृजमोहन सिंह अपील करते हुए लिखते हैं, ड्यूटी पर शहीद हुए पत्रकार शांतनु भौमिक के लिए देश के सभी प्रेस क्लब श्रद्धांजलि रखें। विचारधारा के आधार आपस में न बंटे।
ड्यूटी पर शहीद हुए पत्रकार शांतनु भौमिक के लिए देश के सभी प्रेस क्लब श्रद्धांजलि रखें. विचारधारा के आधार आपस में न बंटे.
— Braj Mohan Singh (@brajjourno) 21 September 2017