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कई अहम मसलों पर लोगों को गुमराह कर रहा है बीसीसीआई: लोढ़ा समिति

राज्य संघों को मोटी रकम आवंटित करने समेत कई अहम मसलों पर बीसीसीआई द्वारा लोगों को गुमराह करने पर कड़ा एतराज जताते हुए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति आर एम लोढा समिति ने आज कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनके निर्देशों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।
कई अहम मसलों पर लोगों को गुमराह कर रहा है बीसीसीआई: लोढ़ा समिति

समिति की ओर से सचिव गोपाल शंकरनारायण द्वारा बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर, सचिव अजय शिर्के, कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी और सीईओ राहुल जौहरी को भेजे गए ईमेल में कई बयानों का हवाला दिया गया है जो बीसीसीआई के अहम पदाधिकारियों ने दिए हैं। ईमेल में कहा गया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ईमेल के निर्देशों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, जैसा कि मीडिया रपटों में कहा गया है कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच मौजूदा श्रृंखला खतरे में है। ईमेल में साफ कहा गया है कि बैंकों को बीसीसीआई के खातों पर रोक लगाने का कोई निर्देश नहीं था। इसमें कहा गया, उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने बीसीसीआई के बैंक खातों पर रोक नहीं लगाई है और न ही नियमित प्रशासन संबंधी बैंक परिचालन या भुगतान और क्रिकेट मैचों या टूर्नामेंटों या गतिविधियों के आयोजन पर रोक लगाई है। संबंधित बैंको को भी यह सूचित किया गया है ताकि क्रिकेट और दर्शकों को बीसीसीआई संचालकों की हरकतों का खामियाजा नहीं भुगतना पड़े।

ईमेल में यह भी बताया गया कि समिति को किस बात पर ऐतराज है। इसमें कहा गया, ऐतराज इस बात पर है कि 30 सितंबर 2016 को बीसीसीआई कार्यसमिति की आपात बैठक में विभिन्न सदस्य संघों को मोटी रकम आवंटित करने का फैसला सालाना बुनियादी ढांचा सब्सिडी बढ़ाने और चैम्पियंस लीग मुआवजे की रकम बांटने के नाम पर लिया गया। यह रकम 500 करोड़ रूपये से अधिक हो सकती है। ये फैसले न तो नियमित थे और न ही आपात। ईमेल में बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर द्वारा मीडिया में दिए गए कुछ बयानों का भी जिक्र किया गया जिसमें आईपीएल कराने या इंग्लैंड में चैम्पियंस ट्राफी खेलने में से जबरिया एक विकल्प चुनने का मसला शामिल है। ईमेल में कहा गया, समिति बोर्ड अध्यक्ष ठाकुर के मीडिया बयान से भी हैरान है कि बीसीसीआई को या तो आईपीएल का दसवां सत्र आयोजित करने का इरादा छोड़ना होगा या जून 2017 में इंग्लैंड में होने वाली चैम्पियंस ट्राफी से बाहर रहना होगा। बोर्ड अध्यक्ष का यह अप्रासंगिक बयान गुमराह करने वाला है।

समिति ने कहा, आईपीएल मामले में रिपोर्ट में सिर्फ यह सुझाव दिया गया है कि साल का क्रिकेट कैलेंडर बनाते समय आईपीएल के थकाउ सत्र के बाद राष्ट्रीय कैलेंडर शुरू होने में 15 दिन का अंतराल देना जरूरी है ताकि क्रिकेटर थकान का शिकार न हो और उनका कैरियर प्रभावित नहीं होने पाए। जहां कैलेंडर पहले ही घोषित हो चुके हैं, उसमें इस लचीलेपन की गुंजाइश नहीं है। समिति ने पिछली एसजीएम ईजीएम का पूरा ब्यौरा बीसीसीआई को कल सुबह तक देने के लिए कहा है।

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