उत्तराखंड, तेलंगाना को भी पूर्ण सदस्य का दर्जा मिल गया है। बिहार को भी मत देने का अधिकार मिल गया है लेकिन यह तभी काम करना शुरू करेगा जब इसके सारे लंबित मामले खत्म हो जाएंगे। सीओए ने संघों का नया ज्ञापन (एमओए) और बीसीसीआई के नियम व दिशानिर्देश अपलोड कर दिए हैं जिससे स्पष्ट है कि एक राज्य से केवल एक ही पूर्ण सदस्य हो सकता है।
इसके अनुसार 41 बार का रणजी चैम्पियन अब बड़ौदा और सौराष्ट्र के साथ बीसीसीआई का एसोसिएट सदस्य बन गया है। मुख्य राज्य गुजरात की ये दोनों टीमें अब एसोसिएट सदस्य हैं और ये प्रतिवर्ष बारी-बारी मत डालेंगे। मुंबई क्रिकेट संघ के प्रतिनिधियों को हालांकि आम सालाना बैठकों में शिरकत करने की अनुमति दी जाएगी लेकिन वे अपना मत नहीं डाल सकते।
एमओए यह भी स्पष्ट करता है कि कोई भी संघ प्रतिनिधि के रूप में मतदान वाली प्रणाली नहीं अपना सकता और यह साफ तौर पर दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की ओर इशारा करता है जो हैदराबाद क्रिकेट संघ के साथ सबसे भ्रष्ट संघ के रूप में मशहूर है।
सीओए ने कड़ाई से उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित की गई सिफारिशों का पालन किया है। इसके अनुसार बीसीसीआई की आम सालाना बैठक प्रत्येक वर्ष 30 सितंबर तक कराई जाएगी और शीर्ष परिषद का हर तीन साल में चुनाव होगा।
शीर्ष परिषद मुख्य रूप से बीसीसीआई में संचालन के मामलों के लिए जिम्मेदार होगी। इसमें नौ सदस्य होंगे जिसमें पांच चयनित -- अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष -- सदस्य होंगे। चार अन्य को नामांकित किया जाएगा। मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) बीसीसीआई के दिनचर्या के मामले देखेगा जिसमें छह पूर्ण कालिक मैनेजर उनकी मदद करेंगे।
राष्ट्रीय चयन समिति का मानदंड वही रहेगा जिसमें चेयरमैन अपना निर्णायक मत डालेगा जबकि कप्तान बैठकों में शिरकत करेगा लेकिन उसे वोट डालने का अधिकार नहीं होगा।