न्यायमूर्ति एएम सप्रे और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष याचिका रखी गई जिस पर उन्होंने सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि इससे संबंधित मामले पर पहले ही नियमित पीठ सुनवाई कर रही है।
सीएबी की ओर से पेश वकील ने कहा कि यह आपात मामला है क्योंकि चुनाव 22 मई को होने हैं और चुनाव के लिए 21 दिन पूर्व नोटिस नहीं दिया गया। साथ ही लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी की गई जिसके तहत कोई भी ऐसा व्यक्ति बीसीसीआई चुनाव में पदाधिकारी के लिए चुनौती पेश नहीं कर सकता जिसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हो।
पीठ ने सीएबी के वकील से कहा कि वह अवकाशकालीन रजिस्ट्रार के सामने इस मामले को रखें जिससे कि किसी अन्य पीठ के समक्ष इसे रखा जा सके क्योंकि पहले ही नियमित पीठ इस पर सुनवाई कर चुकी है। इस मामले पर पहले ही सुनवाई कर रही प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अगुआई वाली पीठ ने इससे पहले न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति की पदाधिकारियों की आयु को 70 साल तक सीमित करने की सिफारिश का विरोध करने पर बीसीसीआई को फटकार लगाई थी। उच्चतम न्यायालय में मौजूदा सुनवाई सीएबी की याचिका का नतीजा है जो उसने अपने सचिव आदित्य वर्मा के जरिये दायर की है जिन्होंने बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाया है।