नोटिस के अनुसार डीडीसीए ने 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के तहत वार्षिक आमसभा की बैठक नहीं की। जो कंपनी अधिनियम के सेक्शन 96 के तहत अनिवार्य है। इसके बाद डीडीसीए ने अधिनियम के सेक्शन 92 के तहत वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक रिटर्न भी नहीं भरा।
कंपनी रजिस्ट्रार के अनुसार डीडीसीए के निदेशक या कार्यालय प्रभारी को बैलेंस शीट की जानकारी देनी चाहिए। वर्ष के दौरान हुए लाभ-हानि का ब्यौरा अधिनियम के सेक्शन 129 के तहत दिया जाना चाहिए। बैठक के दौरान पेश किए ब्यौरे के तहत 60 और 30 दिनों के भीतर रिटर्न और बैलेंस शीट हानि-लाभ के ब्यौरे के साथ भरी जानी चाहिए। यह कंपनी अधिनियम के सेक्शन 92 और 137 के तहत अनिवार्य है। इसका भी पालन नहीं किया गया।
डीडीसीए को उपरोक्त नियमों का पालन नहीं करने के एवज में डिफाल्ट नोटिस जारी किया गया है। डीडीसीए को अपना पक्ष रखने को कहा गया है। नियमानुसार कंपनी और अधिकारी अधिनियम के सेक्शन 99 के तहत ऐसी अवमानना में दोषी हो सकते है। जिन्हें सजा भी दी जा सकती है।