पूर्व भारतीय कप्तान और दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने विश्व कप 2019 सेमीफाइनल में टीम इंडिया की हार के बावूजद विराट कोहली को स्वाभाविक तौर पर कप्तान बनाए रखे जाने के निर्णय पर सवाल उठाया हैं। मालूम हो कि टीम इंडिया को सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ 18 रन से हारकर विश्व कप से बाहर होना पड़ा था। गावस्कर का मानना है कि कोहली को दोबारा कप्तानी सौंपे जाने से पहले आधिकारिक बैठक होनी चाहिए थी।
कोहली की नियुक्ति विश्व कप तक ही थी
एक वेबसाइट पर प्रकाशित अपने लेख में गावस्कर ने लिखा है कि अगर उन्होंने (चयनकर्ता) वेस्टइंडीज दौरे के लिए कप्तान का चयन बिना किसी मीटिंग के लिए कर लिया तो यह सवाल उठता है कि क्या कोहली अपनी बदौलत टीम के कप्तान हैं या फिर चयन समिति की खुशी के कारण हैं। उन्होंने कहा कि हमारी जानकारी के अनुसार उनकी (कोहली की) नियुक्ति विश्व कप तक थी। इसके बाद, चयनकर्ताओं से मिलने के लिए मिन्नत की गई, भले ही वह पांच मिनट के लिए ही क्यों न हों।
चयन समिति है कठपुतली
गावस्कर ने लिखा कि चयन समिति में बैठे लोग कठपुतली हैं। पुनर्नियुक्ति के बाद कोहली को मीटिंग में टीम को लेकर अपने विचार रखने के लिए बुलाया गया। प्रक्रिया को बाईपास करने से यह संदेश गया कि केदार जाधव, दिनेश कार्तिक को खराब प्रदर्शन के कारण टीम से बाहर किया गया जबकि विश्व कप के दौरान और उससे पहले कप्तान ने इन्हीं खिलाड़ियों पर भरोसा जताया था और नतीजा हुआ कि टीम फाइनल में भी नहीं पहुंच सकी।
टीम के प्रदर्शन पर रिव्यू बैठक भी नहीं होगी
एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली अखिल भारतीय चयन समिति ने वेस्टइंडीज दौरे के लिए कोहली को तीनों फॉरमेट का कप्तान नियुक्त किया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) ने साफ कर दिया कि वह विश्व कप में टीम के प्रदर्शन पर रिव्यू बैठक नहीं बुलाएगी, लेकिन वह इस विश्व कप में टीम के प्रदर्शन को लेकर टीम मैनेजर की रिपोर्ट पर विचार करेगी।
बीसीसीआई के एक तबके का यह मानना था कि 2023 विश्व कप को ध्यान में रखते हुए तीनों फॉर्मेट के लिए अलग-अलग कप्तान बनाया जाना एक अच्छा कदम हो सकता था और इससे आने वाले समय में टीम को फायदा होता।