शिर्के ने न्यायालय के फैसले के बाद कहा , इस फैसले पर मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं है। यदि यह उच्चतम न्यायालय का फैसला है कि मैं सचिव नहीं रहूं तो इससे सरल क्या हो सकता है। बीसीसीआई में मेरा काम खत्म हो गया है।
यह पूछने पर कि बोर्ड अगर लोढा समिति के सुझावों को लागू कर देता तो क्या इस स्थिति से बचा जा सकता था, शिर्के ने कहा कि इस मसले से दूसरी तरह से निपटने का कोई सवाल ही नहीं था। उन्होंने कहा, आखिर में बीसीसीआई सदस्यों से ही बनती है। यह मेरे या अध्यक्ष की बात नहीं थी बल्कि यह सदस्यों की बात थी।
शिर्के ने ब्रिटेन से कहा, इतिहास में जाने की कोई वजह नहीं है। लोग अलग-अलग तरीके से अतीत का आकलन कर सकते हैं। मेरा पद से कोई निजी लगाव नहीं है। पहले भी मैने इस्तीफा दिया है। मेरे पास करने के लिये बहुत कुछ है। बोर्ड में जगह थी तो मैं आया और निर्विरोध चुना गया। मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है और कोई पछतावा भी नहीं है।
शिर्के ने उम्मीद जताई कि बोर्ड वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूत स्थिति बनाये रखेगा। उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि नये पदाधिकारी बीसीसीआई का अच्छा काम जारी रखेंगे। उम्मीद है कि बोर्ड वैश्विक स्तर पर अपना रूतबा बरकरार रखेगा। उम्मीद है कि भारतीय टीम भी खेल के तीनों प्रारूपों में अपना दबदबा कायम रखेगा।
इस बीच पूर्व स्पिनर बिशन सिंह बेदी की अगुवाई में क्रिकेट जगत ने इस फैसले की सराहना की है।
बेदी ने कहा , यह ऐतिहासिक फैसला है। भारतीय क्रिकेट के लिये यह अच्छा है और इससे क्रिकेट ढर्रे पर आ जायेगा। अब उम्मीद की किरण नजर आ रही है और हम उच्चतम न्यायालय के शुक्रगुजार हैं। मैं बहस में नहीं पड़ना चाहता। यह अंतिम और सर्वमान्य है। भारतीय खेलों और क्रिकेट के लिये यह अच्छी खबर है।
भाषा