दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक दिग्गज विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी के इंटरनेशनल क्रिकेट में आज 15 साल पूरे हो गए हैं। पूर्व कप्तान धोनी ने 23 दिसंबर 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय करिअर का पहला मैच खेला था। यह वनडे मैच था। धोनी के कामयाब कप्तान और खिलाड़ी बनने का सफर बेहद चुनौती से भरा रहा है। वह अपने डेब्यू मैच में ही ऐसे गलती कर बैठे थे कि उनका करिअर जल्द ही खत्म हो सकता था। हालांकि, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था जिसने उन्हें परेशानी में पड़ने से बचा लिया।
पहले वनडे में शून्य पर हुए थे आउट
दरअसल, सौरव गांगुली की कप्तानी में खेलने उतरे धोनी अपने पहले वनडे में शून्य पर आउट हो गए थे। वह पहली ही गेंद पर अपना विकेट गंवा बैठे थे। धोनी के पास इस मैच में विकेट के पीछे ना कोई कैच आया और ना स्टंपिग का मौका बना। भारत ने इस मैच में 8 विकेट पर 245 रन बनाए थे। भारत ने मैच 11 रन से जीता था। इतना ही नहीं बांग्लादेश के खिलाफ पूरी वनडे सीरीज उनके लिए बेहद निराशानजक रही थी। उन्होंने तीन मैचों में कुल 19 रन बनाए थे। इस प्रदर्शन के बाद खिलाड़ियों को टीम में लौटने की कम ही उम्मीद होती है लेकिन धोनी लौटे और वो भी पूरे दमखम के साथ।
पाकिस्तान के खिलाफ जड़ा शतक
पिछली गलतियों को भुलते हुए धोनी ने अप्रैल 2005 में दमादार वापसी की। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज के दौरान एक मैच में वो कारनाम कर दिखाया जो उनकी ताबड़ोतड़ी बल्लेबाजी की पहचान बन गया। गांगुली ने धोनी को पाकिस्तान के खिलाफ विशाखापट्टम में पहली बार नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने का मौका दिया। धोनी ने हाथ आए इस अवसर को जमकर भुनाया। उन्होंने चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के सामने 123 गेंदों पर 148 रन ठोक दिए। उन्होंने पाकिस्तान के गेंदबाजी आक्रमण की जिस तरह धुनाई की उसे देखर हर कोई हैरान रह गया था। इस मैच के बाद धोनी ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आईसीसी की तीनों अहम ट्रॉफी जीती
सबसे सफल कप्तानों में धोनी का नाम जरूर लिखा जाता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धोनी इकलौते ऐसे कप्तान हैं, जिन्होंने आईसीसी की तीनों अहम ट्रॉफी जीती हैं। धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया आईसीसी टी-20 विश्व कप (2007), वनडे विश्व कप (2011) और आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी (2013) पर कब्जा जमा चुकी है। इसके अलावा उनकी कप्तान में टीम इंडिया 2009 में पहली बार टेस्ट में नंबर एक बनी था।
2011 विश्व कप फाइनल का वो ऐतिहासिक छक्का
वहीं अगर बात करें 2011 विश्व कप फाइनल का वो मुकाबला शायद ही कोई भूल पाएगा, जब कप्तान ने खुद को प्रमोट कर बैटिंग ऑर्डर में युवराज सिंह से पहले बल्लेबाजी के लिए मैदान पर भेजा और टीम को जीत दिलाकर ही पवेलियन वापस लौटे। धोनी ने अपनी कप्तानी में टीम को 28 साल बाद विश्व कप दिलाया और फाइनल में धोनी का वो छक्का तो शायद ही कोई इस जन्म में भूल पाएगा। इसी छक्के को लेकर सुनील गावस्कर ने कहा था, जब मेरी आखिरी सांसें चल रही होंगी और कोई एक चीज जिसे मैं देखना चाहूंगा वो होगा फाइनल में धोनी का मैच विनिंग छक्का।
ऐसा रहा करिअर
गौरतलब है कि धोनी फिलहाल क्रिकेट से दूर हैं। उन्होंने विश्व कप 2019 के सेमीफाइनल मुकाबले में भारत की हार के बाद से एक भी वनडे या टी-20 मैच नहीं खेला है। धोनी भारत के लिए 90 टेस्ट, 350 वनडे और 98 अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच खेल चुके हैं। उन्होंने टेस्ट 38.09 की औसत से 4876 रन, वनडे में 50.6 की औसत से 10773 रन वहीं टी-20 में 37.60 की औसत से 1617 रन बनाए हैं। उन्होंने साल 2014 में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया था।