टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन भारतीय टीम लचर प्रदर्शन की वजह से मेजबान ऑस्ट्रेलिया के हाथों पर्थ में खेला गया दूसरा टेस्ट मैच हार गई। ऑस्ट्रेलिया ने इस टेस्ट के पांचवें दिन महज 65 मिनट में ही भारत के बचे हुए पांच विकेट हासिल कर लिए और विराट ब्रिगेड यह मैच 146 रनों से हार गई।
पर्थ के हालात में ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने भारतीय बल्लेबाजों के पास कोई जवाब नहीं था। पहली पारी में 283 रनों पर ही ढेर होने के बाद दूसरी पारी में भी विराट के धुरंधरों ने सरेंडर कर दिया और सिर्फ 140 रनों पर धराशाई हो गए।
पर्थ टेस्ट में भारतीय टीम जिस तरह से पारी से हारी है उससे फैंस के हाथ निराशा लगी है। इसके पीछे कई दूसरी वजहें भी हैं-
1. आउट ऑफ फॉर्म केएल राहुल को लगातार मौके देना
विराट कोहली ने पर्थ में आउट ऑफ फॉर्म लोकेश राहुल को बरकरार रखा। इंग्लैंड के खिलाफ ओवल टेस्ट में खेली गई 149 रनों की पारी को निकाल दें तो राहुल ने पिछली 22 पारियों में सिर्फ 326 रन बनाए हैं। राहुल ने पिछली 23 टेस्ट पारियों में 0, 2, 44, 2, 33, 4, 0, 149, 37, 0, 19, 36, 23, 10, 8, 13, 4, 54, 16, 0, 4, 10, 7 रन बनाए हैं, लेकिन इसके बावजूद कप्तान कोहली और टीम मैनेजमेंट राहुल को बार-बार मौके दे रहे हैं। पिछली 13 टेस्ट पारियों में 11 बार राहुल एलबीडब्ल्यू या बोल्ड आउट हुए हैं।
2. टेल-एंडर बल्लेबाजों का कोई तोड़ न होना
पर्थ में टीम इंडिया के लिए ऑस्ट्रेलिया के टेल-एंडर बल्लेबाज सिरदर्द साबित हुए। ऑस्ट्रेलिया के पुछल्ले बल्लेबाजों ने पर्थ टेस्ट की दोनों पारियों में कुल 126 रन जोड़े, जबकि भारत के टेल-एंडर बल्लेबाज सिर्फ 34 रन ही जोड़ पाए।
3. एक स्पेशलिस्ट स्पिनर की कमी
पर्थ की पिच को तेज गेंदबाजों के अनुकूल माना जा रहा था। लेकिन मेजबान टीम के ऑफ स्पिनर नाथन लियोन ने मैच में कुल 8 विकेट अपने नाम किए और उन्हें 'मैन ऑफ द मैच' का पुरस्कार मिला। इसी वजह से अश्विन या जडेजा को मैच में मौका नहीं दिया गया।
कोहली ने मैच के बाद कहा, 'पिच को देखते हुए हमें अपने चार तेज गेंदबाजों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी, इसलिए जडेजा के चयन पर विचार ही नहीं किया। जब हमने पहली बार पिच देखी, तो हमें लगा तेज गेंदबाज काफी होंगे लेकिन लियोन ने इस विकेट पर काफी अच्छी गेंदबाजी की। अगर अश्विन फिट होते तो हम उनके नाम पर विचार कर सकते थे।'
4. पहली पारी में कोहली का विवादित आउट
पर्थ टेस्ट के तीसरे दिन टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली के कैचआउट के फैसले पर जमकर विवाद हुआ। कोहली फॉर्म में थे और शतक बनाने के बाद वह और आक्रामक होकर खेल रहे थे, इसी बीच अंपायर ने उन्हें कैच आउट करार दे दिया।
भारत की पहली पारी के दौरान पैट कमिंस 93वां ओवर डाल रहे थे और इस ओवर की आखिरी गेंद पर कोहली के बल्ले का बाहरी किनारा लगा और दूसरी स्लिप में खड़े हैंड्सकॉन्ब के पास पहुंच गया। हैंड्सकॉम्ब ने कैच लेने के बाद जश्न मनाया लेकिन ये साफ नहीं था कि कोहली का कैच सही तरीके से लिया गया है या नहीं। पहली पारी में कोहली ने आउट होते ही भारतीय टीम जल्द ही ऑलआउट हो गई और ऑस्ट्रेलिया ने 43 रनों की बढ़त ले ली। कोहली रहते तो भारत को ऑस्ट्रेलिया पर बढ़त दिला सकते थे। ये ही वजहें भारत पर भारी पड़ गई।