दुनिया भर में इस वक्त महेंद्र सिंह धोनी की संन्यास की खबरें छाई हुई हैं। क्रिकेट जगत दो धड़ों में बंट चुका है। एक तरफ वे लोग हैं, जो मानते हैं कि अब माही का वक्त गुजर चुका है तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जो संन्यास जैसे फैसलों को व्यक्तिगत मानते है। धोनी के संन्यास पर टीम इंडिया के पूर्व ओपनर बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का दर्द भी छलका पड़ा, सहवाग ने एक कार्यक्रम में कहा जब उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था और उसके बाद वे कभी क्रिकेट के मैदान में वापसी तक नहीं कर पाए।
संदीप पाटिल पर साधा निशाना
पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज ने कहा कि चयनकर्ताओं का दायित्व है कि वे धोनी से बात करें और उन्हें बता दें कि अब उन्हें आगे और मौका नहीं दिया जा सकता। काश चयनकर्ताओं ने मुझसे भी मेरी योजना के बारे में पूछा होता। सहवाग ने पैनल के सदस्य संदीप पाटिल को निशाना बनाते हुए यह बात कही। पाटिल उस समय मुख्य चयनकर्ता थे जब सहवाग को 2013 में टीम से बाहर किया गया था और इसके बाद से वह वापसी नहीं कर पाए। पाटिल ने फिर राष्ट्रीय टेलीविजन पर सहवाग से माफी मांगी।
पाटिल ने दी सफाई
इसी कार्यक्रम में मौजूद पाटिल ने वहां कहा कि सचिन (तेंडुलकर) से भविष्य के बारे में बात करने की जिम्मेदारी मुझे और राजिंदर सिंह हंस को दी गई थी जबकि यही जिम्मेदारी सहवाग के लिए विकी (विक्रम राठौड़) को सौंपी गई थी। हमने उससे पूछा तो उसने कहा कि उसने सहवाग से बात कर ली है, लेकिन अगर सहवाग कह रहा है कि विक्रम ने उससे बात नहीं की थी, तो मैं इसकी जिम्मेदारी लेना चाहूंगा।
घोषणा के बाद बात करने का नहीं कोई फायदा
सहवाग ने पाटिल को याद दिलाया कि टीम की घोषणा के बाद खिलाड़ियों से बात करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि विक्रम ने मुझसे तब बात की जब मुझे बाहर कर दिया गया था। अगर वह मुझसे टीम की घोषणा से पहले बात करते तो यह औचित्यपूर्ण होता। एक बार क्रिकेटर को बाहर किए जाने के बाद उससे बात करने का कोई मतलब नहीं है। इसी पर सहवाग आगे बोले कि अगर एमएसके प्रसाद धोनी से तब बात करें जब उन्हें टीम से बाहर कर दिया जाए तो धोनी क्या कहेगा कि वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलेगा और अगर वह रन जुटाता है तो चयनकर्ताओं को उसे तब चुनना चाहिए। बात यह है कि चयनकर्ताओं को बाहर किए जाने से पहले क्रिकेटरों से बात करनी चाहिए।
कपिल देव बोले इसके विपरीत
भारत के पहले विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव हालांकि इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अगर खिलाड़ी चुना जाता है तो चयनकर्ता उस खिलाड़ी से बात करता है इसलिये मुझे नहीं लगता कि जब उसे टीम से बाहर किया जाता है तो इस बारे में उससे बात करने की जरूरत है।
गौतम गंभीर ने कहा युवाओं को दें मौका
भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने कहा है कि महेंद्र सिंह धोनी ने जिस तरह युवा खिलाड़ियों की मांग करके बतौर कप्तान भविष्य में निवेश किया, उसी तरह उनके बारे में ‘व्यवहारिक फैसले’ लेने की जरूरत है क्योंकि युवा खिलाड़ी इंतजार में खड़े है।
गंभीर ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि भविष्य के बारे में सोचना जरूरी है। धोनी जब कप्तान थे तब उन्होंने भविष्य में निवेश किया। मुझे याद है कि धोनी ने ऑस्ट्रेलिया में कहा था कि मैं, सचिन और सहवाग तीनों सीबी सीरीज नहीं खेल सकते क्योंकि मैदान बड़े हैं। उन्होंने कहा कि धोना ने विश्व कप के लिए युवा खिलाड़ी मांगे थे। जज्बाती होने की बजाय व्यवहारिक फैसले लेना जरूरी है। युवाओं को मौका देने की जरूरत है। चाहे वह ऋषभ पंत हो, संजू सैमसन, ईशान किशन या कोई और विकेटकीपर। जिसमें भी क्षमता दिखे, उसे विकेटकीपर बनाया जाना चाहिए।
अभी धोनी का नहीं कोई विक्लप
वहीं गंभीर से पलट पूर्व राष्ट्रीय चयनकर्ता संजय जगदाले ने शुक्रवार को कहा कि हालांकि भारतीय टीम के पास 38 वर्षीय विकेटकीपर बल्लेबाज का सही विकल्प तुरंत मौजूद नहीं है, लेकिन चयन समिति को धोनी से मिलकर भविष्य के बारे में उनके मन की बात लेनी चाहिए। जगदाले ने कहा कि धोनी एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं और उन्होंने भारतीय टीम के लिए हमेशा नि:स्वार्थ क्रिकेट खेला है। मेरे मत में भारतीय टीम के पास विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में अभी धोनी का उपयुक्त विकल्प तुरंत मौजूद नहीं है। चयनकर्ताओं को धोनी को यह भी बताना चाहिए कि वे भविष्य में उन्हें किस भूमिका में देखना चाहते हैं।