इस साल खेल जगत की नजरें भारत पर लगी रही और भारत की आंखों के तारे रहे विराट कोहली जिनकी आदत में शुमार हो गया है क्रिकेट के नित नये रिकार्ड बनाना जबकि फीफा अंडर 17 विश्व कप की सफल मेजबानी करके भारत ने अपना लोहा मनवाया।
रन मशीन कोहली की अगुवाई में भारतीय टीम ने जीत दर जीत दर्ज करके ऐसा तिलिस्म गढा है जिसे तोड़ पाना विरोधी टीमों के लिये नामुमकिन सा होने लगा है।
इस साल खेल जगत में भारतीय बैडमिंटन की पोस्टर गर्ल पी वी सिंधू की भी तूती बोली जबकि किदाम्बी श्रीकांत ने सफलता की नयी परिभाषा लिखी। महिला और पुरूष हाकी टीमों ने उपमहाद्वीपीय चैम्पियन का दर्जा हासिल किया।
दो बार के ओलंपिक पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार तीन साल बाद रिंग में लौटे तो मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में बरसों बाद पीला तमगा दिलाया । एम सी मेरीकाम ने एशियाई चैम्पियनशिप स्वर्ण के साथ वापसी की और क्यू खेलों में पंकज आडवाणी ने 18वां विश्व खिताब जीता। मुक्केबाज गौरव बिधूड़ी ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता।
साल के आखिर में शतरंज के शहंशाह विश्वनाथन आनंद ने पिछली नाकामियों का गम दूर करके चौदह बरस बाद रैपिड शतरंज खिताब जीता।
महिला क्रिकेट टीम पुरूष टीम की छत्रछाया से निकलकर अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही। मिताली राज एंड कंपनी विश्व कप में उपविजेता रही और पहली बार कोहली एंड कंपनी से इतर उनकी उपलब्धि को देश ने माना और सराहा।
पुरूष क्रिकेट टीम का जलवा इस साल भी बदस्तूर जारी रहा।