एक महीने और 63 मैच के बाद 2018 का फीफा वर्ल्डकप अपने अंतिम पड़ाव यानी फाइनल की दहलीज पर पहुंच चुका है। जहां रविवार को युवा फ्रांसीसी टीम का सामना क्रोएशिया से होगा। कायलां बाप्पे और ग्रीजमैन की अगुआई वाली फ्रांस की टीम दूसरी बार फीफा वर्ल्डकप का खिताब जीतना चाहेगी और उसका सामना महज 40 लाख की आबादी वाले देश क्रोएशिया की टीम से होगा, जो विश्वकप के इतिहास में पहली बार फाइनल में पहुंची है। क्रोएशिया ने अपनी आजादी के 27 साल बाद ही फाइनल में पहुंचने का यह कारनामा दिखाया है।
20 साल पहले की हार का बदला ले पाएगी क्रोएशिया?
फ्रांस और क्रोएशिया की टीम फीफा वर्ल्डकप में एकबार इससे पहले भ्ाी भिड़ चुकी हैं। 1998 के विश्वकप में मेजबान फ्रांस ने क्रोएशियाई टीम को सेमीफाइनल में 2-1 से हराया था। इस बार की कहानी 20 साल पुरानी जैसी ही है। 1998 में क्रोएशिया ने सबको चौंकाते हुए क्वार्टर फाइनल में जर्मनी को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। इस बार उसने इंग्लैंड को सेमीफाइनल में हराकर फाइनल में जगह बनाई है।
क्षेत्रफल में हिमाचल प्रदेश के बराबर
पूर्व यूरोप यानी बाल्कन में पानोनियम प्लेन और भूमध्य सागर के बीच बसा क्रोएशिया का क्षेत्रफल भारत के हिमाचल प्रदेश के बराबर यानी लगभग 56 हजार वर्ग किलोमीटर है। अगर आबादी की बात करें तो क्रोएशिया की जनसंख्या भारत की राजधानी दिल्ली से भी काफी कम यानी लगभ्ाग 40 लाख ही है।
1991 में मिली आजादी
क्रोएशिया को 1991 में एक देश के तौर पर मान्यता मिली। इससे पहले यह यूगोस्लाविया का हिस्सा था। बता दें कि 1918 में ऑस्ट्रिया-हंगरी से अलग होने की घोषणा करने के बाद क्रोएशिया यूगोस्लाविया में मिल गया थ्ाा। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के वक्त नाजियों ने क्रोएशिया पर कब्जा कर स्वतंत्र राज्य क्रोएशिया की स्थापना की। जंग खत्म होने के बाद क्रोएशिया फिर यूगोस्लाविया में शामिल हो गया। लेकिन गृहयुद्ध के बाद 25 जून 1991 को यह उससे आजाद हो गया।
क्रोएशिया को फीफा वर्ल्डकप में खेलने के लिए 1998 तक का इंतजार करना पड़ा और उस साल वह सेमीफाइनल में पहुंचा और तीसरे स्थान पर रहा। इस बार क्रोएशिया वर्ल्डकप फाइनल खेलने वाला सबसे युवा देश होगा। इतना ही नहीं, क्रोएशिया अपनी आजादी के बाद से अब तक खेले गए छह में से पांच फीफा वर्ल्डकप में जगह बनाने सफल रहा है।
क्रोएशिया के कप्तान का परिवार था शरणार्थी
क्रोएशिया के कप्तान लुका मॉद्रिच का परिवार शुरू में युद्ध क्षेत्र में शरणार्थी था और जब वह महज छह साल के थे, तो उनके दादा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कभी शरणार्थी क्षेत्र में रहने वाले मॉद्रिच ने आज क्रोएशिया को पहली बार फीफा वर्ल्डकप के फाइनल में पहुंचा कर एक नई पहचान दी है।