Advertisement

टोक्यो पैरालंपिक में भारत को झटका: जानें- विनोद कुमार ने कैसे हारी जीती हुए बाजी, खोना पड़ा बॉन्ज मेडल

टोक्यो पैरालंपिक में सोमवार को भारत डिस्कस थ्रो में जीती हुई बाजी हार गया। डिस्कस थ्रो में भारतीय...
टोक्यो पैरालंपिक में भारत को झटका: जानें- विनोद कुमार ने कैसे हारी जीती हुए बाजी, खोना पड़ा बॉन्ज मेडल

टोक्यो पैरालंपिक में सोमवार को भारत डिस्कस थ्रो में जीती हुई बाजी हार गया। डिस्कस थ्रो में भारतीय खिलाड़ी विनोद कुमार ने जो बॉन्ज मेडल हासिल किया था, वह उन्हें नहीं मिलेगा। दरअसल, वह मेडल एक विरोध होने के बाद होल्ड पर रख दिया गया था, जिसमें फैसले के बाद यह तय हुआ की विनोद को अब वो मेडल नहीं मिलेगा। प्रतियोगिता पैनल द्वारा विकलांगता वर्गीकरण मूल्यांकन में अपात्र पाए जाने के पर विनोद ने अपना कांस्य पदक खो दिया।

ये भी पढ़ें- टोक्यो पैरालंपिक: रंग लाई योगेश कठुनिया की कड़ी मेहनत, डिस्कस थ्रो F56 में जीता सिल्वर

41 वर्षीय बीएसएफ के जवान ने रविवार को पोलैंड के पिओटर कोसेविक्ज़ (20.02 मीटर) और वेलिमिर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे तीसरा स्थान हासिल करने के लिए 19.91 मीटर का सर्वश्रेष्ठ थ्रो किया था। हालाकि, परिणाम को कुछ प्रतियोगियों ने चुनौती दी थी।

ये भी पढ़ें - टोक्यो पैरालिंपिंकः डिस्कस थ्रो में विनोद कुमार का कांस्य पदक होल्ड पर, जाने क्या है वजह

आयोजकों ने एक बयान में कहा, "पैनल एनपीसी इंडिया के एथलीट विनोद कुमार को एक खेल वर्ग के साथ आवंटित करने में असमर्थ था और एथलीट को क्लासिफिकेशन नॉट कम्प्लीट (सीएनसी) के रूप में नामित किया गया था।"

उन्होंने आगे कहा कि इसलिए एथलीट पुरुषों की F52 डिस्कस मेडल इवेंट के लिए अयोग्य है और उस प्रतियोगिता में उसके परिणाम शून्य हैं।

F52 बिगड़ी हुई मांसपेशियों की शक्ति, चाल की प्रतिबंधित सीमा, अंग की कमी या पैर की लंबाई के अंतर वाले एथलीटों के लिए है, जिसमें एथलीट सर्वाइकल कॉर्ड चोट, रीढ़ की हड्डी की चोट और कार्यात्मक विकार के साथ बैठने की स्थिति में प्रतिस्पर्धा करते हैं।

पैरा-एथलीटों को उनकी विकलांगता के प्रकार और सीमा के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। वर्गीकरण प्रणाली एथलीटों को समान स्तर की क्षमता वाले लोगों से प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देती है। 22 अगस्त को विनोद को श्रेणीबद्ध किया गया था।

बता दें, विनोद के पिता आर्मी में थे जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में लड़े थे। सीमा सुरक्षा बल में जुड़ने के बाद ट्रेनिंग करते हुए विनोद लेह में एक चोटी से गिर गए थे, जिससे उनके पैर में चोट लगी थी। इस वजह से वह लगभग एक दशक तक बिस्तर पर रहे थे।2012 में उनकी स्थिति में सुधार आना शुरू हुआ था। पैरा खेलों में उनकी शुरुआत 2016 रियो खेलों के बाद हुई थी। उन्होंने रोहतक के भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में अभ्यास शुरू किया और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दो बार कांस्य पदक जीता।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad