राय ने इससे पहले दस मीटर पिस्टल में कांस्य पदक जीता था और उन्होंने यहां फाइनल में अपने अनुभव का बखूबी इस्तेमाल करके सोने का तमगा हासिल किया। सेना के इस जवान ने कर्णी सिंह शूटिंग रेंज पर 230.1 का स्कोर बनाया जो विश्व रिकार्ड है। दूसरी तरफ फाइनल में अधिकतर समय बढ़त पर रहने वाले अमनप्रीत को 226.9 के स्कोर के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा। ईरान के वाहिद गोलखानदन ने 208.0 का स्कोर बनाकर कांस्य पदक जीता।
फाइनल में पहली दो सीरीज के बाद 29 वर्षीय जीतू 93.8 अंक के साथ आठ निशानेबाजों के बीच छठे स्थान पर चल रहे थे। उस समय अमनप्रीत 98.9 का स्कोर बनाकर सबसे आगे थे। पंजाब के इस निशानेबाज ने इसके बाद भी अच्छा प्रदर्शन जारी रखा और अपनी बढ़त मजबूत कर दी लेकिन राय ने भी शानदार वापसी की।
राय ने एक एलिमिनेशन राउंड में 10.8 का स्कोर बनाया जो उनके लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ। इससे वह छठे से तीसरे स्थान पर पहुंच गए और उन्होंने कजाखस्तान के मशहूर निशानेबाज व्लादीमीर इसाचेक को बाहर कर दिया। राय ने इसके बाद भी 10.4 और 10.0 के स्कोर बनाए जबकि पहली बार विश्व कप फाइनल में खेल रहे अमनप्रीत ढीले पड़ गए।
लखानदन को पीछे छोड़ने के बाद राय ने 10.5 का स्कोर बनाकर अमनप्रीत की उम्मीदों पर भी पानी फेरा और पहला स्थान हासिल किया।
राय ने कहा कि भारत में पहली बार हो रहे पहले सयुंक्त विश्व कप में अपने प्रशंसकों के सामने स्वर्ण पदक जीतना शानदार अनुभव है। यह बड़ा सम्मान है और भारतीय तिरंगा को लहराते हुए देखना सुखद अहसास है। उन्होंने कहा कि मेरी आज की शुरुआत अच्छी नहीं रही लेकिन यही खेल का मजा है। मुझे खेल की यह अनिश्चितता पसंद है। ऐसा नहीं होगा तो खेल में रोमांच ही नहीं रहेगा। मैं शॉट दर शॉट आगे बढ़ता रहा और फिर शीर्ष पर पहुंच गया। यह शानदार मुकाबला था।
राय ने कहा कि मैंने 2016 के सत्र का अंत विश्व कप में रजत पदक जीतकर किया था और मैंने 2017 की यहां भारत में शानदार शुरुआत करने का सपना देखा था। मैंने इस साल सभी विश्व कप में भाग लेने की योजना बनाई है। अब हमें म्यूनिख में आईएसएसएफ विश्व कप में भाग लेना है और वहां जाने से पहले मुझे कुछ चीजों में सुधार करने की जरूरत है। मैं बाकी सत्र के लिए पूरी तरह तैयार हूं। (एजेंसी)