विश्व चैम्पियनशिप 2011 में कांस्य पदक जीतने वाले 24 साल के विकास ओलंपिक में जगह बनाने वाले तीन भारतीय मुक्केबाजों में से एक थे और उन्हें रियो ओलंपिक खेलों में क्वार्टर फाइनल में शिकस्त का सामना करना पड़ा था। मिडलवेट (75 किग्रा) में चुनौती पेश करने वाले विकास ने कहा, यह मेरे लिए अच्छी प्रतियोगिता थी। मैं पदक से चूक गया लेकिन मुझे लगता है कि मेरा प्रदर्शन अच्छा था। जहां तक क्वार्टर फाइनल में हार की बात है तो मैं अपने प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेता हूं, उस दिन मैं उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाया।
उज्बेकिस्तान के मुक्केबाज बेकतेमीर मेलीकुजीव के खिलाफ शिकस्त को याद करते हुए विकास ने कहा, क्वार्टर फाइनल के दिन वजन तुलवाते समय मेरा वजन 71 किग्रा था। मैं उतनी अच्छी तरह चुनौती पेश नहीं कर पाया, मैं अपने मुक्कों में ताकत नहीं लगा पा रहा था। मुझे लगता है कि शुरूआती राउंड में भाग्य मेरे साथ था। क्वार्टर फाइनल में जो हुआ उसके लिए मैं जिम्मेदार हूं। रियो खेलों से भारतीय मुक्केबाजों के खाली हाथ लौटने के लिए पिछले चार साल से राष्ट्रीय महासंघ की गैरमौजूदगी को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। विकास से स्वीकार किया कि इसके कारण मुक्केबाजी को नुकसान उठाना पड़ा है। विकास ने कहा, रियो ओलंपिक अब वापस नहीं आएंगे। इसलिए मुझे आगे बढ़ना होगा। मैंने अगले साल विश्व चैम्पियनशिप में पदक का लक्ष्य बनाया है जिससे कि विश्व प्रतियोगिता में दो पदक जीतने वाला पहला भारतीय बन सकूं। मैं दुनिया को दिखाऊंगा कि महासंघ के बिना भी पदक जीता जा सकता है। पेशेवर मुक्केबाजी में भाग्य आजमाने के बारे में पूछने पर विकास ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, मैं अगले दो से तीन महीने ब्रेक ले रहा हूं क्योंकि मैं अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताना चाहता हूं। इसके बाद मैं देखूंगा कि आगे क्या करना है।
भाषा