सिंधू रियो खेलों में बैडमिंटन के महिला एकल के फाइनल में स्पेन की विश्व में नंबर एक कैरोलिना मारिन से हार गयी थी लेकिन वह ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी। इस 21 वर्षीय खिलाड़ी का स्वदेश लौटने पर भव्य स्वागत किया गया।
सिंधू ने कहा, मैंने इस तरह के स्वागत की उम्मीद नहीं की थी। बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी ने मुझे बधाई दी। मैं सभी की आभारी और खुश हूं। पहली बात भगवान की कृपा है जो कि बहुत महत्वपूर्ण है। कोच पुलेला गोपीचंद ने भी उनकी हां में हां मिलाते हुए कहा, हमारे सभी प्रयासों के लिये मैं निश्चित तौर कहूंगा कि भगवान ने हम पर कृपादृष्टि बनाये रखी जो कि बहुत महत्वपूर्ण था। थोड़ी सी खांसी और जुकाम भी आपकी राह में बाधा बन सकती थी। हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं और ईश्वर ने चाहा तो हम जीत सकते हैं और इस पूरी कहानी को मैं इसी तरह से देखता हूं।
सिंधू ने कहा कि उन्होंने कभी पदक जीतने के बारे में नहीं सोचा लेकिन एक समय में केवल एक मैच पर ध्यान दिया और अपना शत प्रतिशत प्रदर्शन किया।
उन्होंने कहा, ओलंपिक जाने से पहले मेरा खुद पर विश्वास था और मैंने हर मैच में अपनी तरह से हर संभव प्रयास किया। आज मैं गर्व महसूस कर रही हूं कि मैंने देश का मान बढ़ाया। इसलिए यह सुखद अहसास है। जिम्मेदारियां काफी थी। मैं आगे भी अच्छा प्रदर्शन जारी रखूंगी।
सिंधू से जब साइना नेहवाल के चोटिल होने के कारण जल्दी बाहर होने के बारे में पूछा गया, उन्होंने कहा, साइना (नेहवाल) ने भी अच्छा प्रदर्शन किया और कई टूर्नामेंट जीते हैं। गोपीचंद के बारे में उन्होंने कहा गोपी सर हमेशा प्रेरित करते रहते हैं। वह भले ही दूसरों को गुस्से में लगते हो लेकिन मेरे लिये यह उनकी प्रेरणा थी जिससे मुझे मदद मिली। पिछले दो महीने हमने काफी कड़ी मेहनत की और काफी बलिदान दिये जिसका हमें फल मिला। हमने पदक के बारे में नहीं सोचा था। हमने सिर्फ एक मैच पर ही ध्यान लगाया और मैं खुश हूं कि मैंने पदक जीता।
एजेंसी