भारतीय कुश्ती महासंघ ने आज स्वीकार किया कि वह खेल पंचाट को यह यकीन नहीं दिला सका कि पहलवान नरसिंह यादव साजिश का शिकार हुआ है और यही वजह है कि फैसला उसके पक्ष में नहीं गया जिससे रियो ओलंपिक से बाहर होने के साथ चार साल का प्रतिबंध झेलना पड़ा। डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि खेल पंचाट की समिति यह जानने पर अड़ी थी कि यदि कोई साजिश हुई है तो गुनहगार को अभी तक सजा क्यों नहीं मिली। उन्होंने कहा , जितना भी मेरी समझ में आया, खेल पंचाट की समिति पूछ रही थी कि भारतीय कानून के तहत अभी तक दोषियों को सजा क्यों नहीं दी गई। यह सिर्फ गिरफ्तारी की बात नहीं थी बल्कि वे जानना चाहते थे कि क्या दोषी को किसी तरह की सजा मिली है। यदि आज गुनहगार जेल में होता तो फैसला हमारे पक्ष में आ सकता था।
उन्होंने कहा , हम यह यकीन नहीं दिला सके कि कोई साजिश हुई है। हमने कोशिश की लेकिन फैसला हमारे खिलाफ गया। खेल पंचाट की समिति ने पूछा कि एफआईआर पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई। हमने कहा कि भारत में कानूनी प्रक्रिया है और इस पर जांच चल रही है जो अभी पूरी नहीं हुई है। लेकिन उन्होंने कहा कि अभी तक सब पूरा हो जाना चाहिये था। सिंह ने कहा , यह नरसिंह और देश के लिये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाले पहले खिलाड़ी को एक साजिश का शिकार होने के बाद प्रतिबंध झेलना पड़ा। उन्होंने कहा , हम पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हैं। देश में एक सांठगांठ चल रही है और कुछ समूह काम कर रहे हैं , ऐसा समूह जो कुछ खिलाडि़यों के साथ पहले भी काम कर चुका है। मुझे पूरा यकीन है कि किसी ने नरसिंह के खिलाफ साजिश की है और भारत सरकार को इसकी सीबीआई जांच करानी चाहिये ताकि भविष्य में किसी खिलाड़ी के साथ ऐसा ना हो। सिंह ने कहा , दोषियों के नाम का खुलासा किया जाना चाहिये।
नरसिंह की स्थिति के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा , वह बात करने की हालत में नहीं है। वह लगातार रो रहा है। हमने उसकी टीम से उसका ध्यान रखने को कहा है। दल प्रमुख राकेश गुप्ता ने बताया कि वह कल तक ही रह सकता है लेकिन कल उसे खेलगांव छोड़ना होगा। भावी कार्रवाई के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा , हम भारत पहुंचकर अपने वकील से सलाह लेने के बाद अपील करने पर फैसला लेंगे। उन्होंने कहा कि समय के अभाव के कारण इस मामले में वकीलों से भी सलाह नहीं ली जा सकी। उन्होंने कहा , 13 अगस्त को वाडा ने नोटिस जारी किया जो हमें 15 अगस्त को मिला। हमारे वकील भारत से नहीं आ सकते थे और ना ही हम उनसे बात कर सकते थे। वाडा ने कहा कि या तो आप आओ और नहीं आने पर भी फैसला होगा। हमारे वकीलों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये भारत से अपना पक्ष रखा।
उन्होंने कहा , भारत से नाडा का कोई वकील नहीं आ सकता था। नाडा के एक अधिकारी को मौजूद रहने को कहा गया और कोई आया था लेकिन तैयारी के साथ नहीं। वह ज्यादा कुछ नहीं कर सका। यदि नाडा से कोई तैयारी के साथ आता तो उसकी बात सुनी जाती। वाडा के वकील पूरी तैयारी के साथ आये थे।
एजेंसी