अगर एक रूसी हैकिंग समूह पर भरोसा करें तो विश्व की एंटी डोपिंग रोधी एजेंसी वाडा ने दुनिया के चोटी के खिलाड़ियों को प्रतिबंधित दवाएं लेने की इजाजत दे रखी है जिसके कारण ऐसी दवाएं नहीं लेने वाले ईमानदार खिलाड़ियों को हार का सामना करना पड़ता है। अभी खत्म हुए रियो ओलंपिक खेलों में भारत को भी ऐसे दो खिलाड़ियों के कारण कम से कम दो मेडल गंवाने पड़े हैं। इनमें ऐतिहासिक प्रदर्शन करने वाली जिम्नास्ट दीपा कर्ममार भी शामिल हैं जो चौथे स्थान पर रही थीं।
भारतीय पहलवान नरसिंह यादव की किस्मत ने अचानक से फिर पलटी खाई और खेल पंचाट ने राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी द्वारा उन्हें दी गई क्लीन चिट को खारिज करते हुए उन्हें ओलंपिक से बाहर करने के साथ डोप टेस्ट में नाकाम रहने के कारण उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया। विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी : वाडा : ने नाडा द्वारा नरसिंह को दी गई क्लीन चिट के खिलाफ खेल पंचाट में अपील की थी।
खेल पंचाट की समिति पूछ रही थी कि भारतीय कानून के तहत अभी तक दोषियों को सजा क्यों नहीं दी गई। यह सिर्फ गिरफ्तारी की बात नहीं थी बल्कि वे जानना चाहते थे कि क्या दोषी को किसी तरह की सजा मिली है। यदि आज गुनहगार जेल में होता तो फैसला हमारे पक्ष में आ सकता था।
विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी (वाडा) ने खुलासा किया है कि इस साल रूसी खिलाडि़यों के डोप टेस्ट करने के सैकड़ों प्रयास नाकाम रहे। वाडा ने यह सनसनीखेज रिपोर्ट रूस की ओलंपिक में भागीदारी पर अहम फैसला आने से कुछ दिन पहले ही जारी की है।